इस कानून के लागू होने से प्रशासनिक तन्त्र को जन केन्द्रित बनाने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी -माननीया मुख्यमन्त्री जी
जनता को चििन्हत सेवाओं को निर्धारित समय में प्राप्त करने की कानूनी गारंटी मिली
राज्य सरकार ने पहले चरण में ऐसी सेवाओं को चििन्हत किया जिनकी सर्वाधिक जरुरत कमजोर और गरीब वर्गो को रहती है
अधिकारियों की जवाबदेही स्पश्ट तौर पर तय, कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर अर्थदण्ड का प्राविधान
उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने आज अपने जन्म दिन पर प्रदेश की जनता को “उत्तर प्रदेश जनहित गारंटी कानून´´ का एक बड़ा तोहफा देते हुए इस कानून को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्णय लिया है। इस अभिनव कानून के तहत जनता को प्रथम चरण में चििन्हत सेवाओं को निर्धारित समय में प्राप्त करने की कानूनी गारंटी मिल गई है। राज्य सरकार ने आम जनता के सशक्तिकरण से सम्बन्धित उ0प्र0 जनहित गारंटी कानून को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी कर दिया है जिसके चलते यह कानून आज से पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गया हैं।
माननीया मुख्यमन्त्री जी अपने 55वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर प्रदेश भर में मनाये जा रहे जन कल्याणकारी दिवस के तहत, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर सभागार, आिशयाना, लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहीं थीं।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि उ0प्र0 जनहित गारंटी कानून के लागू हो जाने से प्रदेश की जनता को चििन्हत सेवाओं को प्राप्त करने के लिए न तो किसी की इच्छा पर निर्भर रहना होगा और न ही उसे किसी से सिफारिश आदि की जरुरत होगी। क्योंकि जनता को चििन्हत सेवाओं केा निर्धारित समय में प्राप्त करने की कानूनी गारंटी प्रदेश सरकार द्वारा सुनििश्चत की गई हैं। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत पहले चरण में उनकी सरकार ने जनहित की ऐसी सेवाओं को सबसे पहले चििन्हत किया है जिनकी सबसे ज्यादा जरुरत समाज के कमजोर और गरीब वर्गो के लोगोें को दिन-प्रतिदिन रहती है। उन्होंने कहा कि बाद में जरुरत के मुताबिक अन्य आवश्यक सेवाओं को भी इस कानून के दायरे में लाया जायेगा।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने कहा कि पहले चरण में चििन्हत की गई सेवाओं को प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा इस कानून में समय-सीमा निर्धारित की गई है और निर्धारित समय में सेवा न उपलब्ध कराने वाले अधिकारियों की जवाबदेही भी स्पश्ट तौर पर सुनििश्चत की गई है। इस कार्य में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर अर्थदण्ड लगाने का प्राविधान भी नये कानून मेें किया गया है। उन्होंने कहा कि अर्थदण्ड की धनरािश निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से दोशी अधिकारी से वसूल कर इसका भुगतान आवेदक को ही कर दिया जायेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश जनहित गारंटी कानून लागू हो जाने पर राज्य के प्रशासनिक तन्त्र को जन केन्द्रित बनाने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को और अधिक मजबूती मिलेगी।
माननीया मुख्यमन्त्री जी ने नये कानून लागू करने की जरुरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी पार्टी की सरकार सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की नीति के आधार पर चलकर प्रदेश में समतामूलक समाज के स्थापना के लिए गम्भीरता से प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था की स्थापना के लिए भयमुक्त, भ्रश्टाचारमुक्त, अन्यायमुक्त, अपराधमुक्त तथा विकासयुक्त वातावरण का होना बेहद जरुरी है। उन्होंने कहा कि ऐसा वातावरण तभी बनाया जा सकता है जब प्रशासनिक तन्त्र जनता की जरुरतों के प्रति संवेदनशील और जागरुक हो और उसमेें अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी की भावना हो।
माननीया मुख्यमंन्त्री जी ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए उनकी सरकार ने सरकारी विभागों में नयी कार्य संस्कृति विकसित करने की दिशा में शुरु से ही अनेकों महत्वपूर्ण कदम उठाये। उन्होंने स्पश्ट किया कि उनकी सरकार द्वारा उठाये गये इन कदमों से बेहतर नतीजे तो जरुर मिले है लेकिन उनकी पार्टी की सरकार इतने से ही सन्तुश्ट नही होना चाहती। इसीलिए राज्य सरकार ने प्रदेश की जनता को एक बेहतरीन और जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था से लाभािन्वत कराने के लिए उ0प्र0 जनहित गारंटी कानून जैसा ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस कानून के अन्तर्गत राज्य सरकार ने सरकारी विभागों द्वारा प्रदेश की आम जनता को उपलब्ध करायी जा रही जरुरी सेवाएं अब निर्धारित अवधि में मुहैया कराने की गारंटी देने का क्रान्तिकारी निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि उ0प्र0 जनहित गारंटी कानून के अन्तर्गत प्रथम चरण में जाति प्रमाण-पत्र, आय प्रमाण-पत्र, निवास प्रमाण-पत्र, भूमि का अविवादित नामान्तरण, मूल किसान बही प्रदान करना, किसान बही की डुप्लीकेट कापी प्रदान करना, नगर निगम क्षेत्र में सम्पत्ति का अविवादित नामान्तरण, नगर निगम क्षेत्र में जहंा तकनीकी रुप से सम्भव हो, नवीन नल कनेक्शन प्रदान किया जाना, नगर निगम/नगर पालिका परिशद/नगर पंचायत क्षेत्र में जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाना, विकलांगता प्रमाण-पत्र तथा नगरीय/ग्रामीण क्षेत्रों में नया ए0पी0एल0 राशन कार्ड जारी करने की सेवाएं शामिल की गईं हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि चििन्हत सेवाओं की निर्धारित अवधि में उपलब्धता सुनििश्चत कराने एवं विचलन की दशा में अर्थदण्ड लगाये जाने हेतु प्रथम अपील अधिकारी एवं द्वितीय अपील अधिकारी नामित कर दिये गये हैं। यदि बिना पर्याप्त एवं युक्तिसंगत कारणों के नामित अधिकारी सेवा प्रदान करने में विफल रहते है या प्रथम अपील अधिकारी नियत समय के भीतर अपील का निस्तारण करने मे विफल रहते है तो द्वितीय अपील अधिकारी को नामित एवं प्रथम अपील अधिकारी के ऊपर 500 रुपये से 5000 रुपये तक का अर्थदण्ड लगाने का अधिकार होगा, लेकिन अर्थदण्ड लगाने से पूर्व सम्बन्धित अधिकारियों को सुनवाई का अवसर दिया जायेगा। यदि द्वितीय अपील अधिकारी यह पाता है कि सेवा प्रदान करने वाले नामित अधिकारी द्वारा सेवा उपलब्ध कराये जाने में विलम्ब किया गया है तो ऐसी विलम्ब के लिए 250 रुपये प्रतिदिन की दर से 5000 रुपये तक का अर्थदण्ड अधिरोपित कर सकता है। इसके अलावा द्वितीय अपील अधिकारी द्वारा नामित अधिकारी एवं प्रथम अपील अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए संस्तुति भी की जा सकती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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