वैसे तो देह व्यापार के धंधे के लिए शासन-प्रशासन ने कुछ पेशेवरों का लाइसेंस दे रखा है। जिसे लोग कोठा, पाढ़ा, वैश्यालय आदि की संज्ञा देते हैं। ऐसे स्थान तो चििन्हत हैं। मगर सरकारी लाइसेंसधारी होने के कारण उन्हें रोका नहीं जा सकता जो वर्तमान में भी अच्छी तरह फल-फूल रहे हैं, लेकिन इससे हटकर बदनाम गली वालों के बाद अधिकांशत: लोग इस फायदेमन्द धंधे को रोजी-रोटी का जरिया बनाकर सेक्स रैकेट चला रहे हैं। इसमें महिलाएं-युवतियां उस अड्डे से जुड़कर देह व्यापार का धंधा करती हैं और कुछ तो स्वयं ही अपने घर को अड्डा बनाकर धंधा चलाती हैं। इस समय नगर के कुछ इलाकों को छोड़कर अधिसंख्य इलाकों में ताजे चमड़ी का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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