श्रम विभाग कार्यालय में बैठ कर वसूलता है महीना
नगर में पंजीकृत/अपंजीकृत बिस्कुट बनाने वाली पचासों बेकरिया हैं, जो गली-कूचों तक अपना कारोबार फैलाये हुए हैं। इन बेकरियों में दो-चार को छोड़कर शेष सभी बेकरी संचालक अपने कारखाने में नाबालिग बाल श्रमिकों से कार्य करा रहे हैं और वेतन देने के नाम पर उनका खुला शोषण करते हैं, किन्तु इस तथ्य की ओर जिला प्रशासन और श्रमायुक्त का ध्यान नहीं जा रहा है और ना ही नगर क्षेत्र में इसकी कभी जांच-पड़ताल या मौका-मुआयना किया जाता है, जिससे गरीब, असहाय, निर्धन परिवार के बालकों का वैधानिक शोषण किया जाता है।
जानकारी मिली है कि ऐसे बेकरी वाले गरीब, असहाय, निर्धन परिवार के बाल श्रमिकों को रात-दिन खटाने और कोई कानूनी कार्रवाई या छापे की कार्रवाई न करने के लिए मोटी रकम श्रमायुक्त के पास पहुंचा दी जाती है, जिससे बाल श्रमिक का मामला देखने वाले श्रम मन्त्रालय के ये अधिकारी बैठे-बैठे कारखानों के श्रमिकों की बेहतरी की रिपोर्ट तैयार कर दी जाती है, जबकि बालश्रम कानूनी अपराध है, मगर श्रमायुक्त जैसे अधिकारियों की नज़र में यह जुर्म नहीं है। इसलिए बाल श्रमिकों का शोषण वर्तमान में बरकरार है। इस सन्दर्भ में जिला प्रशासन व सरकार का ध्यान लोगों ने आकृष्ट किया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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