किसी भी कनिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी को प्रभारी न बनाया जाय। होम्योपैथी चिकित्सा के प्रति जनमानस में जागरूकता पैदा की जाय तथा सभी चिकित्साधिकारी अस्पतालों पर समय से उपस्थित रहें।
प्रदेश के होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा मन्त्री श्री नन्दगोपाल गुप्ता ´नन्दी´ ने आज यहॉ योजना भवन में आयोजित होम्योपैथी विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जनमानस में यह आम धारणा है कि छोटे बच्चों को होम्योपैथिक दवाएं दी जाय, बावजूद इसके प्रदेश के 1575 चिकित्सालयों में से 594 चिकित्सालय ऐसे है, जहॉ प्रतिदिन रोगियों की संख्या 50 से भी कम है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अत्यन्त ही खेद जनक है। उन्होंने कहा कि इससे यह परिलक्षित होता है कि चिकित्सक अस्पतालों पर समय से मौजूद नहीं रहते हैं। जबकि इसके विपरीत निजी चिकित्सकों के यहॉ मरीजों की भीड़ लगी रहती है। उन्होंने जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे भी प्रतिदिन कम से कम 10 मरीजों को अवश्य देखें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि वे यह सुनिश्चित करायें कि सभी चिकित्सा अधिकारी समय से अस्पताल पर उपस्थित रहें।
श्री नन्दी ने जनपद गोरखपुर एवं अलीगढ़ में नये स्थापित होने वाले राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों के भवनों के निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं से कहा कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने होम्योपैथिक निदेशक को निर्देश दिये कि वे चिकित्सालयों में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करायें। उन्होंने कहा कि दवाओं की कमी नहीं होनी चाहिए।
बैठक में प्रमुख सचिव श्री जैकब थामस, निदेशक होम्योपैथिक डा0बी0एन0सिंह के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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