भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि गरीब ठंढ से मर रहे हैं। राज्य प्रशासन मुख्यमन्त्री के जन्मदिवस की तैयारियों में जुटा हुआ है। प्रदेश प्रवक्ता सदस्य विधान परिषद हृदयनारायण दीक्षित ने आज रविवार को सम्वाददाताओं से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार गरीबों, दलितों, कमजोरों, मजदूरों के प्रति संवेदनशून्य है। सरकार ने भुखमरी से होने वाली मौतों का कड़ुवा सच नहीं स्वीकार किया। इस साल की जानलेवा सदÊ प्राकृतिक आपदा है। प्राकृतिक आपदा की मार से पीड़ितों का बचाव करना सरकार की ही जिम्मेदारी है। इसके लिए सरकार के पास अलग से धन होता है। राहत के लिए राजस्व विभाग के पास धन होता है। सरकार के पास आकिस्मकता निधि का भारी कोष होता है। राहत के धन की कमी थी तो सरकार इस धन को राहत कोष में भेजकर बदलकर कम्बल, अलाव आदि की व्यवस्था करवा सकती थी। लेकिन बसपा सरकार की संवेदनहीनता के चलते जानलेवा प्राकृतिक आपदा की उपेक्षा हुई है। बसपा सरकार की भ्रष्टाचारी स्वाभाविकता के चलते इस मद में जारी अल्प धनराशि का भी सदुपयोग नहीं हुआ। नतीजतन राज्य में लगभग 200 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है।
श्री दीक्षित ने ठंढ से मौतो के कथित सत्यापन के सरकारी निर्णय को असभ्य बताया और कहा कि सरकार ने जिलाधिकारियों से एक डाक्टर व सम्बन्धित एस0डी0एम0 की कमेटी के जरिए ठंढ से हुई मौतों के सत्यापन का निर्देश देकर गरीबों की मौत का भी मजाक बनाया है। प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि जिलाधिकारी और डाक्टर आखिरकार इन मौतों का कारण कैसे तलाशेंगेर्षोर्षो मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही बताती है। ठंढ से मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। आखिरकार डाक्टर और एस0डी0एम0 परिजनों से क्या पूंछ कर मौत का कारण सुनिश्चित करेंगे।
श्री दीक्षत ने कहा कि मौत का कारण सरकार प्रायोजित अभाव और भुखमरी है। कड़ाके की सदÊ के बावजूद सरकारी संवेदनहीनता ही इन मौतों का मुख्य कारण है। अन्तत: सरकार ही इन मौतों की जिम्मेदार और अभियुक्त है। बसपा सरकार के एजेण्डे में गरीब कमजोर है ही नहीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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