कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे सिंचित दशा में विलम्ब से बुआई के लिए गेहू की प्रजातियों की बुआई तत्काल समाप्त कर लें। समय से बोये गेहू में बुआई के 20 से 25 दिन के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि देर से गेहू की बुआई के लिए डी-वी-डब्लू-14, एच-डी–2643, के-9162, के-9533, एच-पी–1744, नरेन्द्र गेहॅू-1014, के-9423, के-2036, यू-पी-2425, नरेन्द्र गेहूॅ-1076, पी-वी-डब्लू-373, गोल्डन हलना तथा पी-वी-डब्लू-16 की बुआई तत्काल समाप्त करें। उन्होंने कहा कि विलम्ब से बुआई तथा निचली भूमि व अधिक नमी की दशा में जीरो टिलेज तकनीक अपनायें। उन्होंने कहा कि छिटकावा विधि से बोआई कदापि न करें तथा प्रथम सिंचाई के 3 से 4 दिन बाद नाइटोजन की शेष मात्रा की आधी मात्रा प्रयोग करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों का आह्वान किया है कि वे गेहूॅ की बुआई के 20-30 दिन के मध्य पहली सिंचाई के आस-पास पौधों में जिंक की कमी के लक्षण प्रकट हो सकते है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर 5 कि0ग्रा0 जिंक सल्फेट तथा 16 कि0ग्रा0 यूरिया को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें। उन्होंने कहा कि यूरिया के स्थान पर 2-5 कि0ग्रा0 बुझे चूने को 10 लीटर पानी में सांयकाल भिगोकर दूसरे दिन पानी निथार कर उसका प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि किसान खरपतवार के नियंत्रण के लिए पैन्डीमैथिलीन 30 ई-सी की 3-30 लीटर मात्रा 800 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के बाद किन्तु जमाव से पहले प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि यदि खरपतवार निकाई-गुड़ाई से नियंत्रित न हो रहे हो तो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे बथुआ, सत्यानाशी, हिरन खुरी, कृष्णनील गजरी, प्याजी तथा सकरी पत्ती जैसे गेहूॅसा व जगली जई के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरन 75 प्रतिशत 32 मिली/हेक्टेयर के साथ मेटा सल्फ्यूरान मिथाइल पांच ग्राम डब्लू- जी- 40 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से चपटे नॉजिल वाले स्पयेर से बुआई से 30 से 35 दिन पर छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com