जनपद में भारत सरकार की महत्वाकांक्षा योजना “मनरेगा´´ बहुतेरों के लिए आय का अतिरिक्त साधना बन गईZ है। सरकार द्वारा आवंटित मोटी धनराशि मात्र ग्राम प्रधान मालामाल नहीं हो रहे हैं अपितु सरकारी महकमा सबसे अधिक लाभािन्वत हो रहा है। यही कारण है कि मनरेगा मे कितने लोगों-प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी, बाबू और वी.डी.ओ पर कारवाई हुई, इसकी कभी भी प्रगति प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रसारित नही किया अन्यथा मुख्य विकास अधिकारी का लम्बा चौउ़ा पे्रस विज्ञप्ति रिलीज होती है। इस योजना में हो रही गड़बड़ झाला तो समाचार पत्र अपना विषय बनाते हैं किन्तु जिला प्रशासन इस पर गम्भीर नहीं दिख रहा है। विगत जुलाई माह में मरनेगा सोसल आडिट पद सृजित कर जनपद के मात्र 14 विकास खण्डों में समन्वयक की नियुक्ति हुई और इनका कार्य रयही है कि मुख्यालय पर दो बार बैठक करके अभियान को पूरा कर रहे है। इनकी मजबूरी है कि ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी इन्हें हल्के में लेते हैं और यह वर्ग कभी सक्रियता भी नहंी दिखाया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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