विकास खण्डों में रह रहे नागरिकों को 4000 टीमों द्वारा डी.ई.सी टैबलेट खिलाया जायेगा
जिलाधिकारी गौरव दयाल के कर कमलों द्वारा फाइलेरिया दिवस का उद्घाटन डी.ई.सी. टैबलेट स्वयं खाकर एवं उपस्थित अधिकारियों,कर्मचारियों एवं जनता को खिलाकर किया तथा जनपद के सभी जनप्रतिनिधियों,अधिकारियों, कर्मचारियों ,जनता एवं मीडिया से अपील किया कि इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें।
मुख्य चिकित्साधिकारी परिवार कल्याण डा. एस.एन.उपाध्याय ने बताया कि 4404765 कुल 21 विकासखण्डों में रह रहे नागरिकों को चार हजार टीमों द्वारा दवा खिलाया जायेगा। 10905 दवा वितरकों के माध्यम से 3741829 लाभार्थियों के लिए कुल 9050836 टी.ई.सी. की गोली की आवश्यकता पड़ेगी। इस अभियान को सफल बनाने के लिए 100 चिकित्सकों की टीमें लगाकर कुल 628043 घरों को दवा खिलायी जायेगी।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. मेजर वी.पी.सिंह ने बताया कि सबसे पहले केरला प्रान्त के मालावार गांव में 1872 में महिलाओं के परीक्षण के उपरान्त इस फाइलेरिया बीमारी की जानकारी प्राप्त हुई। 1942 में दवा की खोज की गई।लड़कियों की शादी के लिए चेहरा के बजाय पैर देखा जाने लगा कि कही आपको फाइलेरिया तो नही है। प्रदेश के 50 जनपदों में 2004 से कार्यक्रम चलाया जा रहा है। 2015 तक फाइलेरिया मुक्त प्रदेश बनाने का लक्ष्य है। 0-2 वर्ष के नीचे वाले बच्चे ,गर्भवती महिलाओं तथा गम्भीर रूप से बीमार लोगों को दवा नही दी जा सकती। 2-5 वर्ष के बच्चों को एक गोली( 100 मि.गा.),6 से 14 वर्ष के बच्चों को दो गोली, 15 वर्ष से अधिक के लोगों को तीन गोली खिलाई जायेगी।
कार्यक्रम का संचालन जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी एम.पी.सिंह ने किया। इस अवसर पर डा. वी.के.तिवारी, डा. ए.के.सिंह, डा. कमर अब्बास, डा. आनन्द कुमार चौधरी, गीता त्रिपाठी, शैल मौर्या, माधुरी गुप्ता,डा. विमला सिंह सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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