लोकायुक्त की रिपोर्ट पर सरकारी जमीन पर कब्जा करके काली कमाई करने में लगे उत्तर प्रदेश के राज्य मन्त्री श्री राजेश त्रिपाठी को अपने मन्त्रिमण्डल से हटाकर मुख्यमन्त्री ने सिर्फ जनता में हो रही थू-थू से बचने की कोशिश की है। इससे उनकी सरकार के पाप नहीं धुलने वाले है। एक गुड्डू पण्डित की गिरफ्तारी से अपराधमुक्त प्रदेश का नारा भी नहीं चलने वाला है। प्रदेश की मायावती सरकार में तो राजेश त्रिपाठी और गुड्डू पण्डित भरे पड़े हैं। इसलिए अच्छा यही होगा कि या तो पूरी बसपा सरकार का इस्तीफा हो या फिर राज्यपाल इस सरकार को बखाZस्त कर दें।
मुख्यमन्त्रंी छुटपुट कार्यवाहियों से अपने और अपने मन्त्रियों, विधायकों के कारनामों पर पर्दा नहीं डाल सकती हैं। उनके कितने ही मन्त्री, विधायक हत्या, बलात्कार और अपहरण के मामलों में सीखचों के पीछे हैं। जेल में भी उन्हें सुख सुविधाएं दिलाई जा रही हैं। अभी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में बसपा के नेताओं ने जैसा नंगनाच किया उसको प्रदेश की जनता ने देखा है और उनकी गुण्डई से बचाने के लिए हाई कोर्ट को हस्तक्षेप तक करना पड़ गया। ऐसे ही छल कपट और साजिशों से मुख्यमन्त्री ने जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के पदों पर निर्विरोध निर्वाचन के तमगे हासिल किए हैें। अपहरण और हत्या के बल पर अपना वर्चस्व तो मुख्यमन्त्री ने दिखा दिया किन्तु वे इस हकीकत को नहीं झुठला सकती है कि पंचायतों के चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थित प्रत्याशी ही ज्यादा संख्या में जीते थे। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि सत्ता के पूरी तरह दुरूपयोग और प्रलोभन देने के बावजूद तमाम जगहों पर समाजवादी पार्टी के समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख जीते हैंं।
मुख्यमन्त्री मायावती ने अपने आचरण से सिद्ध कर दिया है कि वे पक्षपात और राग द्वेशवश कार्यवाही करती हैं। श्री राजेश त्रिपाठी तो मात्र राज्यमन्त्रंी हैं जबकि काबीना स्तर के श्री रंगनाथ मिश्र और श्री राकेशधर त्रिपाठी भी लोकायुक्त की जॉच में घिर चुके हैं। बॉदा में श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के लोग तमाम अवैध कार्यो में लगे हैं। उनकी सरकार के दो और मन्त्रियों नन्दी तथा श्री सुभाश पाण्डेय के खिलाफ कितने ही आरोप है। ‘ाायद ही कोई मन्त्री, विधायक या सांसद हो जो अवैध कार्यो में संलिप्त न पाया गया हो। बसपा अपराधियों की सबसे सुरक्षित ‘ारणगाह है। मुख्यमन्त्री उनकी सबसे बडी संरक्षक है।
सुश्री मायावती के मुख्यमन्त्रित्वकाल में अपराधों का ग्राफ बढ़ा है, मानवाधिकार सर्वाधिक आहत हुए हैं। उन्होंने अपनी तानाशाही कायम करने के लिए नौकरशाही को पंगु और नाकारा बनाया है। प्रशासनतन्त्र उनकी पार्टी का अंग बन गया है। उन्होंने संविधान की ‘ापथ लेने के बावजूद विपक्ष के दमन का लोकतन्त्र विरोधी रवैया अपनाते हुये समाजवादी पार्टी के ही नेताओं को अपनी सनक का निशाना बनाया है। राजा भईया, विधायक पूर्वमन्त्री, सांसद श्री ‘ौलेन्द्र कुमार, विधायक श्री विनोद सरोेज, विधायक, श्री विजय मिश्र ,एम0एल0सी0 श्री अक्षय प्रताप िंसह `गोपाल जी´ इन सबके खिलाफ तो फर्जी मुकदमों पर वे तुरन्त कार्यवाही करने को उतावली हो गई। नेता विरोधी दल श्री शिवपाल सिंह यादव को जेल में उनसे मिलने मेेंं अड़चन डालना घोर निन्दनीय और अलोकतात्रिक कृत्य है। यदि उचित न्याय हो तो बसपा के नेताओं से ही प्रदेश की कई जेलें भर जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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