भारतीय जनता पार्टी ने राज्य पुलिस के बसपाईकरण का आरोप लगाया है। प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सूबे के पुलिस महानिदेशक की भूमिका बसपा के कोआर्डिनेटर जैसे हो गई है। ब्लाक प्रमुख के चुनावों मेें बसपा की लाठी को पुलिस की लाठी का खुला समर्थन मिला। पूरे सरकारी तन्त्र ने बसपा समर्थक उम्मीदवारों को जिताने के लिये बसपा कैडर के रूप में कार्य किया। उ0प्र0 में कानून नहीं बसपा पोषित माफिया राज चल रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता श्री पाठक ने कहा कि पंचायत चुनाव के प्रथम चरण से शुरू हुआ लोकतन्त्र की हत्या का खेल ब्लाक प्रमुख के चुनावों तक अनवरत जारी रहा। बसपा के अराजक तत्वा हिंसा और हत्या पर उतारू रहे। कानून के राज का दंभ भरने वाली बसपा सूप्रीमो की असलियत पंचायत चुनावों में सत्ताधारी दल के मन्त्री विधायकों के कृत्यों के कारण अब गॉंव गलियारों तक पहुंच चुकी है। मुख्यमन्त्री इससे भयभीत हो उठी हैं। वेैसे इस सरकार में सत्तारूढ़ दल के माननीय लगातार निरंकुश होते रहे है। हर बार इन माननीयों को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्री को हत्तक्षेप करना पड़ता है, आंखिर प्रशासनिेक तन्त्र इन माननीयों पर कार्यवाही करने से क्यों हिचकता है। मुख्यमन्त्री को हर माननीय की गिरफ्तारी के बाद यह क्यों बताना पड़ता है कि कोई भी व्यक्ति कानून के ऊपर नहीं है।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सच तो यह है कि बसपा सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही पूरे प्रदेश के शातिर अपराधियों व माफियाओं की भर्ती बसपा में शुरू हो गई थी।अब यही अपराधी माफिया धन उगाही की पाठशाला से निकलकर प्रदेश में खौफ का वातावरण बना रहे है। श्री पाठक ने बसपा प्रमुख से सवाल किया कि जेल में रहते हुये आनन्द सेन जैसे विधायक को मन्त्री बनाना क्या बसपा के माफिया एजेण्डे की प्राथमिकता थी र्षोर्षो औरेया में इंजीनियर हत्या काण्ड के आरोपी शेखर तिवारी का मामला, बिजनौर में बसपा विधायक इकबाल अहमद द्वारा अधिकारी को धमकी देने से दिल का दौरा पड़ना, नोयडा के तिहरे हत्याकाण्ड में होमगार्ड मन्त्री वेदराम भाटी व उनके पुत्र के मामले सहित कई ऐसे प्रकरण हैं जिनमें सत्ताधारी दल के मन्त्री विधायकों के नाम आये। ताजा मामला आगरा के विधायक सूरजपाल का है। जहां बसपा विधायक के दंबगई का स्थानीय जनता ने विरोध किया तो पुलिस बसपा विधायक के पक्ष में खड़ी नज़र आई। इसी तरह के कई ऐसे प्रकरण हैें पुलिस ने कार्यवाही ही नहीं की, यदि की भी तो बसपाई तत्वों को क्लीनचिट मिल गई। फिर किस आधार पर कानून के राज की बात कही जा रही है।
उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि वह स्पष्ट करें कि सत्ताधारी दल में शामिल अपराधी, माफियाओं के विरूद्ध कौन-कौन से संगीन अपराध के मुकदमें दर्ज हैं और उनमें पुलिस द्वारा क्या कार्यवाही की गई।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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