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विकलांग बच्चों को दया व सहानुभूति की नहीं अपितु प्यार व प्रोत्साहन की आवश्यकता है– फारुक शेख, प्रख्यात फिल्म कलाकार

Posted on 20 December 2010 by admin

farooque-shaikh-with-childrenसिटी मोन्टेसरी स्कूल, महानगर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शैक्षिक महोत्सव ‘अन्तर्राष्टीय इनरस्केप-2010’ आज देश के कोने-कोने से पधारे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों के शिक्षात्मक-सास्कृतिक कार्यम एवं पुरस्कार वितरण के साथ सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से पधारे लगभग 350 से अधिक विकलांग छात्रों ने संकल्प लिया कि प्रकृति प्रदत्त कमजोरियों के बावजूद जीवन में कभी हिम्मत नहीं हारेंगे और मानवता की सेवा में कभी पीछे नहीं रहेंगे। इससे पहले मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात फिल्म कलाकार श्री फारुक शेख ने दीप प्रज्जवलित कर अन्तर्राष्टीय इनरस्केप-2010 के पुरस्कार वितरण समारोह का उद्घाटन किया एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजयी छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि श्री फारुक शेख ने कहा कि विकलांग बच्चों के प्रति समाज के लोगों को अपनी सोच व्यापक बनानी होगी तभी खुशहाल समाज का निर्माण संभव हो सकेगा। दया व सहानुभूति की नहीं अपितु प्यार व प्रोत्साहन की आवश्यकता है। उन्होंने सी-एम-एस- की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इस आयोजन से सी0एम0एस0 ने मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों के सम्मान हेतु सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया है। श्री शेख ने आगे कहा कि ये बच्चे अन्य बच्चों से किसी भी मायने में पीछे नहीं है। इनमें भी इतनी प्रतिभा छिपी पड़ी है कि थोड़ा सा प्रशिक्षण देने व प्यार सम्मान से ये सफलता के उच्चतम सोपान पर कदम रख सकते हैं।

‘अन्तर्राष्टीय इनरस्केप-2010’ में आज का दिन अभूतपूर्व प्रतिभा प्रदर्शन कर रहा। इस अन्तर्राष्टीय महोत्सव के अन्तिम दिन आज प्रात:कालीन सत्र में देश के कोने-कोने से पधारे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर छात्रों  की ‘सास्कृतिक प्रतिभा प्रदर्शन’ प्रतियोगिता जूनियर व सीनियर वर्गों में सम्पन्न हुई। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागी छात्रों ने अपनी कलात्मक प्रतिभा का जोरदार प्रदर्शन करते हुए शिक्षात्मक-सास्कृतिक कार्यमों का ऐसा समा बाधा कि देखने वालों ने दांतो तले उंगली दबा ली और तालियों की गड़गड़ाहट से सी-एम-एस- कानपुर रोड ऑडिटोरियम गूज उठा। भागड़ा की मस्ती, लोकनृत्यों की महक, गजल, समूह नृत्य, डांडिया, गरबा व अनेकों अन्य प्रस्तुतियों की इन्द्रधनुषी छटा बिखरेकर इन छात्रों ने साबित कर दिया कि हम भी किसी से कम नहीं और किसी भी प्रकार की विकलांगता इन्हें सफलता के शिखर पर पहुचने से नहीं रोक सकती। सी-एम-एस- महानगर द्वारा मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों की प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से आयोजित तीन दिवसीय शैक्षिक महोत्सव ‘अन्तर्राष्टीय इनरस्केप-2010’ में विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपने बौद्धिक कौशल, लगन व उत्साह का परचम लहराने के बाद आज इन छात्रों ने शिक्षात्मक-सास्कृतिक कार्यमों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

समापन समारोह में बोलते हुए अन्तर्राष्टीय इनरस्केप-2010 की संयोजिका व सी-एम-एस- महानगर की प्रधानाचार्या सुश्री नलिनी शरद ने कहा कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग हेतु छात्रों का उत्साह व आत्मविश्वास देखकर लगता ही नहीं कि ये कहीं से कमजोर भी हैं। विकलांगता के बावजूद ये छात्र दृढ़ता से जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं और किसी भी रुकावट को दूर करने का साहस रखते हैं। सुश्री नलिनी शरद ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से हमने समाज को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि समाज का सभी वर्ग इन्हें प्रोत्साहित करें, सम्मान दे एवं प्रकृति प्रदत्त कमजोरी को हेय दृष्टि से न देखें। ये मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर बच्चो हमारा प्यार पाना चाहते हैं, दया नहीं। सुश्री शरद ने इनरस्केप में प्रतिभाग हेतु सभी छात्रों व विद्यालयों/संस्थाओं का आभार व्यक्त किया। सी-एम-एस- के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा- जगदीश गाधी ने कहा कि इन बच्चों की प्रतिभा किसी मजबूरी की मोहताज नहीं है। विकलांग होते हुए भी ये छात्र वह सबकुछ कर सकते हैं जो आम बच्चे करते हैं। शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर बच्चों में भी प्रतिभा की कहीं कोई नहीं होती है और उनमें भी आगे बढ़ने का अदम्य साहस व उत्साह होता है, जिसे दबाया नहीं जा सकता। श्री गाधी ने कहा कि ये बच्चे भी दुनिया में एकता की ऐसी ज्योति प्रज्वलित करना चाहते हैं जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में पिरो दे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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