आप माने या ना माने किन्तु यह सत्य है कि सरकार के भ्रष्टाचार पोषक उपक्रमों में मिलावट भी शामिल है। इसलिए सरकारी दूध पराग इससे अछूता कैसे रहेर्षोर्षो आम नागरिक, व्यवसायी और दूध वालों की मिलावट तो जग जाहिर हो चुकी है, किन्तु सरकारी संस्थानों में मिलावट सर्वोपरि हो गया है। सरकारी डेयरी फार्म के दूध पराग तो क्रीम उतारकर छाछ बेचने वाली कहावत चरितार्थ किये हुए थी कि अब पानी में भी पानी की मिलावट का तथ्य प्रकाश में आ गया है।
बताया गया है कि पराग दूध पैकिंग में भी सेंधमारी शुरू हो गई है और दूध पैकिंग से सीरिंज के जरिये दूध निकालकर उसमें उतना ही पानी सुई से भरकर सप्लाई किया जाने लगा है। आम दूध वालों से दूध की शक्ल देखकर सौदेबाजी कर लोग कम दाम में दूध लेते हैं, मगर इस सरकारी दूध का मूल्य पैकिंग पर जो अंकित है, ग्राहकों को उतना ही देना पड़ता है। चाहे निरा पानी भरकर ही पैकिंग की जाय।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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