सिटी मोन्टेसरी स्कूल, महानगर द्वारा आयोजित `अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010´ का दूसरा दिन आज देश के कोने-कोने से पधारे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों के अभूतपूर्व प्रतिभा प्रदशर्न का दिन था। सी.एम.एस. कानपुर रोड के उल्लासपूर्ण व उमंग से भरे वातावरण में आज इन विकलांग बच्चों प्रकृति प्रदत्त कमजोरियों के बावजूद वाद-विवाद, पेिन्टंग, मोिल्डंग, पजल्स एवं कम्प्यूटर आदि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जबरदस्त भागीदारी कर अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया और यह साबित कर दिया कि प्रतिभा के मामले में ये बच्चे किसी से कम नहीं हैं। इनमें भी इतनी प्रतिभा छिपी पड़ी है कि थोड़ा सा प्रशिक्षण देने व प्यार सम्मान से ये सफलता के उच्चतम सोपान पर कदम रख सकते हैं। इससे पहले प्रख्यात अंग्रेजी प्रवक्ता श्री कालाZइल मैकफारलैण्ड ने दीप प्रज्वलित कर इनरस्केप-2010 के दूसरे दिन का विधिवत उद्घाटन किया। सी.एम.एस. महानगर (प्रथम कैम्पस) के तत्वावधान में मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चों का तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव `इनरस्केप-2010´ इन दिनों सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चल रहा है, जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के 250 प्रतिभागी छात्र विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से अपनी योग्यता का भरपूर प्रदर्शन कर रहे हैं।
इनरस्केप-2010 में आज दूसरे दिन प्रतियोगिताओं का सिलसिला `वाद-विवाद प्रतियोगिता´ से प्रारम्भ हुआ जिसका विषय था `देख सकने वाले हम लोगों से अधिक अंधे हैं´। इसमें प्रतिभागी हिन्दी या अंग्रेजी, किसी भी भाषा में अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए स्वतन्त्र थे। छात्रों ने इसमें बढ़चढ़कर हिस्सा लिया एवं अपने तर्क में कविताओं का भी समावेश किया। प्रतियोगिता का संचालन प्रख्यात अंग्रेजी प्रवक्ता श्री कालाZइल मैकफारलैण्ड ने किया। दिये गये विषय पर पक्ष में अपने विचार रखते हुए एक छात्र अरविन्द ने कहा कि आम आदमी अंधे लोगों की समस्याएं नहीं समझता जो स्वयं एक अंधेपन की निशानी है। श्वेता ने कहा कि अंधे लोगों के पास अन्य कई प्रकार के गुण व कलाएं छिपी होती हैं। एक अन्य छात्रा सुनीता ने कहा कि हम भले ही दुनिया के चमकते सितारे न बन पाएं किन्तु हमें घर का चिराग तो अवश्य बनना चाहिए और अपने निकट रोशनी फैलानी चाहिए। इसी प्रकार निश्चल का कहना था कि किसी को अंधेपन का या अन्य कोई खिताब नहीं देना चाहिए व समान वयवहार मिलना चाहिए जबकि आंचल का कहना था कि जरूरत इस बात की है कि हम मन के अंधकार से रोश्नी की ओर जाएं और जाति-पति के भेदभाव छोड़कर सबके हित की बात सोचें। एक अन्य छात्र उवैस ने कहा कि हम लोग आगे का भविष्य हैं। हमें संघर्ष करना चाहिए जिससे दूसरों के हृदय को उज्जवल बनाएं। अंधे लोगों में भी गीर सोच व समझ हो सकती है। लुइस ब्रेल ने जो अद्वितीय मशीन बनाई है उससे हम सामान्य लोगों की भांति लिख व सोच सकते हैं और जीवन में नई उपलब्धियां अर्जित कर मानव जाति की सेवा कर सकते हैं। इसी तरह अन्य प्रतिभागियों ने भी अपने विचारों की गहरी छाप छोड़ी।
पेिन्टंग प्रतियोगिता में आज बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था क्योंकि इससे मन के अनकहे भावों को कागज पर दर्शा सकते हैं। बच्चों की चित्रकारी एवं सुन्दर रंगो का समायोजन बरबस ही ध्यान आकषिZत कर लेता एवं इन्हें देखकर कोई कह ही नहीं सकता था कि ये नन्हें चित्रकारा मानसिक रूप से कमजोर हैं। इसी प्रतियोगिता में जब चित्रकूट के जे. आर. एच. यूनिवर्सिटी से पधारे छात्र गौकरन पाटिल ने हाथ न होते हुए पैरों से पेिन्टंग बनाई तो दर्शक मन्त्रमुग्ध हो गये। इनके अध्यापक श्री देवेन्द्र कुमार ने बताया कि गोकरन पैरों से ही सारे कार्य कर लेते हैं, यहां तक कि कम्प्यूटर भी पैरों से भलीभांति चला लेते हैं। इस प्रतियोगिता में निर्णायकों की भूमिका श्री समीर दास, प्रोड्यूसर, ग्राफिक्स फार दूरदर्शन एवं श्री एन एल खन्ना, आर्टिस्ट एवं आर्ट क्रिटिक ने निभाई।
पजल्स प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग के 45 एवं जूनियर वर्ग में 36 बच्चों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। प्रतिभागियों में जीतने के लिए जल्द से जल्द पजल्स सुलझाने की होड़ी सी दिखी। जूनियर वर्ग की प्रतियोगिता के अन्तर्गत प्रतिभागी छात्रों ने भारत का मानचित्र पजल के टुकड़े मिलाकर जोड़ा जबकि सीनियर वर्ग में प्रतिभागी छात्रों ने विश्व मानचित्र पर पकड़ प्रदर्शित की। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागी छात्रों की तन्मयता देखकर आश्चर्य होता था। ऐसा लग रहा था कि जैसे ये सभी विकलांग छात्र अपनी कमजोरियों का ताक पर रखकर अन्तर्मन से प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं। इस प्रतियोगिता के सीनियर वर्ग की निर्णायक श्रीमती नीना एवं दीक्षा थीं जबकि जूनियर वर्ग में निर्णायक की भूमिका सुश्री रजनी पहलवान ने निभाई। इसी प्रकार मोिल्डंग प्रतियोगिता में देश के विभिन्न भागों से पधारे बच्चों ने प्लास्टर आफ पेरिस, पानी व कपड़े के प्रयोग से अपने सपना की कलाकृति को उकेरा एवं अपनी अभूतपूर्व प्रतिभा व रचनात्मक के प्रदर्शन से सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया। इस प्रतियोगिता के जूनियर व सीनियर दोनों वर्गों में निर्णायक की भूमिका श्री सुशील कुमार ने निभाई। कम्प्यूटर प्रतियोगिता के अन्तर्गत भी छात्रों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया और साबित कर दिया कि `हम भी किसी से कम नहीं´। इस प्रतियोगिता में छात्रों को एक अधूरी कहानी दी गई जिसे उन्होंने सोचकर पूरा किया व स्वयं कम्प्यूटर पर टाइप किया। निर्णायक मण्डल छात्रों की रचनात्मक सोच, कल्पना शक्ति व मार्मिक चरित्र चित्रण देखकर दंग रह गये। इसी प्रकार मटका सजाने की प्रतियोगिता में प्रतिभागी छात्रों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि कल अपरान्ह: सत्र में पुरस्कार वितरण समारोह के साथ `अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010´ सम्पन्न हो जायेगा किन्तु इस आयोजन ने समाज के सभी वर्गो पर गहरी छाप छोड़ी है। श्री शर्मा ने बताया कि `अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010´ कल 20 दिसम्बर, सोमवार को अपरान्ह: 4.00 बजे भव्य पुरस्कार वितरण समारोह के साथ सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में सम्पन्न हो रहा है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व प्रख्यात फिल्म कलाकार श्री फारुक शेख `अन्तर्राष्ट्रीय इनरस्केप-2010´ के विजयी छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित करेंगे। इसके अलावा कल, तीसरे व अन्तिम दिन 20 दिसम्बर को प्रात:कालीन सत्र में जूनियर व सीनियर वर्गों की सांस्कृतिक प्रतिभा प्रतियोगिताएं सम्पन्न होंगी जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से पधारे मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर तथा मूक बधिर बच्चे रंगारंग शिक्षात्मक-सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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