सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में “बच्चों में तथा बच्चों के खिलाफ बढ़ती अपराधवृत्ति´´ विषय पर आयोजित `मीडिया कार्यशाला´ में लखनऊ के मूर्धन्य पत्रकारों व विचारकों ने इस ज्वलन्त विषय पर अपने विचार रखते हुए एक स्वर से कहा कि मीडिया व स्कूल की साझेदारी से ही इस बढ़ती हुई समस्या को रोका जा सकता है। यह वर्कशाप आज सी.एम.एस. गोमती नगर ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुई जिसमें मूर्धन्य पत्रकारों व विचारकों ने इस ज्वलन्त विषय के कारणों, परिस्थितियों एवं उनके समाधान पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा की। इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री विष्णु कान्त सहाय, सदस्य, मानवाधिकार आयोग एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, डा. शशी राय, निदेशक, संबल साइकियाट्रिक हािस्पटल, सुश्री शर्मिष्ठा शर्मा, ग्रुप एडीटर, आई नेेक्स्ट, श्री कमल मिश्रा, संपादक, न्यूज-18, श्री योगेश मिश्रा, ब्यूरो चीफ, नई दुनिया, श्री मानस श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, न्यूज-24, श्री आलोक पाण्डेय, ब्यूरो चीफ, जी न्यूज, श्री नीरज श्रीवास्तव, विशेष संवाददाता, पंजाब केसरी, श्री तुषार बहल, लखनऊ टाइम्स, सुश्री अनामिका श्रीवास्तव, प्रोग्राम ऑफीसर, आल इण्डिया रेडियो आदि गणमान्य हस्तियों ने अपने विचारों से समाज को जागरूक किया। इन वक्ताओं की आम राय रही कि प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया रचनात्मक खबरों पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
`मीडिया कार्यशाला´ में चर्चा की शुरुआत करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गांधी ने कहा कि आज की जरूरत यही है कि मीडिया, समाज व स्कूल तीनों मिलकर भावी पीढ़ी की भलाई के कार्य करें, और इसमें भी लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ `प्रेस व मीडिया´ की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि भावी पीढ़ी के हित में जन-जागरूकता जगाने में प्रेस व मीडिया की अहम भूमिका है। प्रेस व मीडिया ही बाल अपराधों को जनता के सामने लाकर उसे रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है। डा. गांधी ने कहा कि बच्चा जब इस दुनिया में आता है तो बिल्कुल मासूम होता है लेकिन जब आगे चलकर उसे घर व समाज से नकारात्मक वातावरण मिलता है और उस पर भी हिंसा से भरी फिल्में व टी.वी. सीरियल देखता है तो उसके मन-मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि प्राइमरी स्तर से बच्चों को जीवनमूल्यों की शिक्षा देने पर विशेष जोर दिया जाए।
कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री विष्णु कान्त सहाय, सदस्य, मानवाधिकार आयोग ने कहा कि बच्चे कोमल व संजीदा होते हैं। कई बार माता-पिता दोनो कमाते हैं और बच्चों को समय नहीं दे पाते और बच्चे अपराध की चमकीली दुनिया की ओर आकषिZत हो जाते हैं। आई-नेक्स्ट की ग्रुप एडीटर सुश्री शर्मिष्ठा शर्मा ने कहा कि कोई भी बच्चा जन्म से अपराधी नहीं होता है। बचपन में यदि
आपराधिकता के बीच बच्चे में आ जाते हैं तो बड़े होकर भी समाज को दूषित करने का कारण बनता है। श्री कमल मिश्रा, ब्यूरो चीफ, न्यूज-18 ने कहा कि मीडिया को धैर्य से काम करना चाहिए व अपराध की खबरों को ऐसे दिखाना चाहिए कि बच्चों के कोमल मस्तिष्क पर कोई बुरा असर न पड़े। सुश्री अनामिका श्रीवास्तव, प्रोग्राम ऑफीसर, आल इण्डिया रेडियो ने बच्चों में बढ़ती आपराधिकता के मनोवैज्ञानिक व सामाजिक कारणों पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि घर का वातावरण यदि अनुकूल न हो तो बच्चे के मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है व उन्हें आपराधिकता की ओर ले जाता है। डा. शशी राय, निदेशक, संबल साइकियाट्रिक हािस्पटल ने कहा कि विवाह और बच्चों का पालन-पोषण जीवन के महत्वपूर्ण अंग है, इन्हें माता-पिता को गम्भीरता से लेना चाहिए।
सी.एम.एस. की चीफ ऑपरेटिंग ऑफीसर श्रीमती गीता गांधी किंगडन ने कहा कि वर्तमान दौर में एक ओर जहां भौतिक उन्नति में दिन पर दिन इजाफा होता जा रहा है तो दूसरी ओर बाल अपराध व बाल शोषण जैसी सामाजिक बुराइयां भी बढ़ी हैं, ऐसी परिस्थितियों में “बच्चों में तथा बच्चों के खिलाफ बढ़ती अपराधवृत्ति´´ जैसी विश्वव्यापी समस्या पर अनिवार्य रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। इस अवसर पर प्रख्यात सहित्यकार पं हरि ओम शर्मा `हरि´, सी.एम.एस. वल्ड यूनिटी विभाग के हेड श्री अनिरुद्ध सिंह, श्री राज शेखर चन्दोला आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अन्त में मीडिया कार्यशाला के संयोजक श्री रिषी खन्ना ने उपस्थित विद्वजनों के प्रति हादिZक आभार व्यक्त किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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