उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी एअर माशZल अशोक गोयल (से.नि.) ने कहा आज एक ऐसा दिन जब दुनिया के नक्शे में भारत ने एक सशक्त देश की पृश्ठभूमि को स्थापित किया। अधिकांश लोग शायद ही जानते हों, कि क्या है आज मनाया जाने वाला विजय दिवस और इतने गर्व से क्यों मनाया जाता हैर्षोर्षो यह वह ऐतिहासिक दिवस है जिसने तानाशाही को पठखनी देने के लिये मानवता की शक्ति को उजागर कर मानवीय अधिकारों के लिये कमर कसी।
वास्तव में विजय दिवस को रूपरेखा तो तभी तैयार हो गई थी जब अगस्त 1971 में श्रीमती इिन्दरा गॉधी ने रूस से रक्षा सम्बन्धी सन्धि कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया परिणाम स्वरूप अमेरिका अपनी सातवीं फ्लीट को बंगाल की खाड़ी में लाने के उपरान्त भी उनका इस्तेमाल न कर पाया। माननीय श्रीमती इिन्दरा गॉधी का एक ऐसा बुद्धिमत्ता वालासाहसिक कदम था जिससे दुनिया स्तब्ध रह गई।
पकिस्तान में यहियाखान सैनिक शासक के तानाशाही काल में जनता ने त्राहि त्राहि कर ली। मानवता के विरोध में मुजीबुर्रहमान की अगुवाई वाली पार्टी ने बहुमत प्राप्त कर तानाशाही की जड़ों का हिला डाला। लेकिन मुजीबुर्रहमान के राश्ट्रपति पद पर आसीन होने और आने वाले समय में तानाशाही के मिटने की आशंका ने यहियाखान जैसे तानाशाह को कंपकपा दिया। यह उसके बर्दाशत के बाहर था। पर जनता की जागरूकता ने हार नहीं मानी, परिणाम पाकिस्तान के विभाजन से बंग्लादेश के रूप में दुनिया के नक्शे में एक देश जुड़ा। जिसे यहियाखान बर्दाशत न कर सका और उसने मानवता की सारी हदें पार कर बंग्लादेश पर क्रूर सैनिक कार्यवाही करके न केवल मुजीबुर्रहमान को मौत के घाट उतारा वरन् निरीह जनता के साथ ऐसे अमानुशिक कृत्य किये जिसे सोचकर भी हृदय चीतकार कर उठे। यह तथ्य दुनिया के सामने आया और बांग्लादेश की जनता ने साहस का परिचय देते हुये टक्कर देने के लिये मुक्तिवाहिनी सेना की स्थापना की पर वह इतनी सशक्त नही न्थी।
तभी भारत की तत्काल प्रधानमन्त्री दुगाZरूपी श्रीमती इिन्दरा गांधी के नेतृत्व के लौहनारी स्वरूप ने मानवता के पक्ष मेें जो सहयोग व साहसपूर्ण कार्य किया उसने दुनिया की आंखे फटी की फटी रह गई। विश्व के अतिहास में पाकिस्तान के तानाशाही शासन के अतिरिक्त किसी भी देश ने धूल ही नहीं बल्कि गन्दी कीचड़ चाटी और सन जमीन पर रखकर जीवनदान की भीख मांगते हुये 93000 सेनिको ने समर्पण कर दिया। यह महान व्यक्ति की धनी तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इिन्दरा गांधी के ममत्व और मानवता की ही मिसाल थी कि ऐसे क्रूर उदण्डियों को भी भारत में पीओडब्ल्यू के रूप मेंे लगभग एक वशZ तक रखकर उनसे न केवल मानवता का व्यवहार किया वरन् उन्हें जीवन की सभी आवश्यक सुविधायें उपलब्ध कराकर भारत की संस्कृति व सहनशीलता का भी आभास कराया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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