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जिला स्तरीय अधिकारियों को नियमित रूप से निरीक्षण करने के निर्देश

Posted on 15 December 2010 by admin

महामाया गरीब बालिका आशीZवाद योजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के मूल निवासी एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले (बी0पी0एल0) परिवार में पहली बालिका का जन्म होने पर एक मुख्त 21750 रूपये 18 वर्ष के लिये विभाग द्वारा फिक्स डिप़ाजिट किये जायेंगे और बालिका के 18 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहने की स्थिति में जमा धनराशि जो लगभग एक लाख रूपये हो जायेगी, का भुगतान किया जायेगा।

यह बात आज यहॉ मण्डी परिषद सभागार में बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक में समाज कल्याण, कृषि विपणन, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार मन्त्री श्री इन्द्रजीत सरोज ने कही। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत गत 30 नवम्बर तक कुल 109926 आवेदन पत्र प्राप्त हुये थे, जिसमें 1677 आवेदन पत्र निरस्त किये गये और 109926 गरीब बालिकाओं को सावधि प्रमाण पत्र वितरित किये गये। शेष लाभार्थियों का चयन शीघ्र कर लिया जाये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों/मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं आंगनबाड़ी सहायिकाओं के रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रत्येक दशा में 31 दिसम्बर तक पूर्ण कर ली जाये। उन्होंने कहा कि निर्धारित तिथि के पश्चात नियुक्ति शेष रह जाने पर सम्बंधित अधिकारी के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों में प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेशों के अनुसार आरक्षण का अनुपालन शत-प्रतिशत सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि आंगनबाड़ी/मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अनुपूरक पोषाहार की मॉग अब केन्द्रों पर पंजीकृत बच्चों के अनुसार ही निदेशालय पर भेजी जाये। पूर्व में प्रति केन्द्र नौ बोरी सात माह से तीन वर्ष के बच्चों के लिये, पॉच बोरी गर्भधात्री महिलाओं के लिये तथा दो बोरी ´´मानिZंग स्नैक´´ (तीन से छ: वर्ष के बच्चों के लिये) उपलब्ध करायी जाती रही है।

श्री सरोज ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित करते हुये कहा कि प्रदेश स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों/सहायिकाओं के अनेकों संघ बने हुये हैं और अपनी मॉगों को लेकर वे धरने-प्रदर्शन में प्रतिभाग करती रहती हैं, जिससे आंगनबाड़ी के कार्य प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में वे अपनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को छोड़ने से पहले लिखित अनुमति प्राप्त कर लें। बिना अनुमति के केन्द्र से अनुपस्थित पाये जाने पर उनके विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुये मानदेय सेवाओं से उन्हें पृथक कर दिया जायेगा। आंगनबाड़ी कार्यकत्री/सहायिका यदि बिना लिखित अनुमति के केन्द्र से गायब पायी गईं तो क्षेत्रीय मुख्य सेविका के साथ-साथ सम्बंधित बाल विकास परियोजना अधिकारी भी दण्डित होंगे। उन्होंने कहा कि जिला कार्यक्रम अधिकारी अपने जनपदों में आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं बाल विकास परियोजनाओं का नियमित रूप से निरीक्षण करें। निरीक्षण के दौरान कर्मचारी के अनुपस्थित पाये जाने या अन्य कोई गड़बड़ी पाये जाने पर अपनी रिपोर्ट आख्या निदेशालय को उपलब्ध करायें ताकि उदासीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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