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विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का ग्यारहवां अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन विश्व सरकार ही विश्वव्यापी समस्याओं का निराकरण कर सकती है -देश-विदेश से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों का मत

Posted on 13 December 2010 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित “विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´´ में 71 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविदों ने आज `विश्व सरकार´ की जमकर वकालत करते हुए कहा कि विश्व सरकार ही विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान कर सकती है और भावी पीढ़ी के सुरक्षित व खुशहाल भविष्य की गारंटी ले सकती है। देश-विदेश से पधारे माननीय न्यायमूर्तियों ने जोर देकर कहा कि सीमाओं में बंधी सरकारें विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम नहीं है। इससे पहले आज सम्मेलन के चौथे दिन की शुरुआत सर्व-धर्म व विश्व शान्ति प्रार्थना से हुई जिससे पूरा ऑडिटोरियम ईश्वरीय व आध्याित्मक वातावरण से सराबोर हो गया। इसके अलावा सी.एम.एस. छात्रों ने भी आज विद्वान न्यायविदों व कानूनविदों के समक्ष विश्व के दो अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु बड़े ही प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखी जिनमें परमाणु हथियारों सहित सभी रासायनिक व जैविक हथियारों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने, युद्धों पर प्रतिबन्ध लगाने, वातावरण को दूषित होने से बचाने, विश्व की जटिल समस्याओं के समाधान विचार-विमर्श ने निकालने की मांगे शामिल थीं। इससे पहले सम्मेलन के चौथे दिन का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि श्री स्वामी प्रसाद मौर्या, मन्त्री, पंचायती राज, उ.प्र. ने किया एवं प्रात:कालीन सत्र की अध्यक्षता चाड सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति अब्दराहिम बिरेमे हामिद ने की जबकि अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रो. अब्दुल सलाम अजीमी ने की-नोट एड्रेस दिया।

lighting-the-lamp_iccjw_4th-dayइस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि श्री स्वामी प्रसाद मौर्या, मन्त्री, पंचायती राज, उ.प्र. ने कहा कि समानता व न्याय न्यायविदों का प्रथम कर्तव्य है और इसी से आप मानवजाति का विश्वास जीत सकते हैं। अब समय आ गया है कि विश्व के न्यायमूर्ति एक नई जिम्मेदारी को भी निभायें एवं जनता की आवाज का ऊपर उठायें क्योंकि जनता की वाणी ईश्वर की वाणी होती है। श्री मौर्य ने सी.एम.एस. छात्रों को विश्व एकता के इस अभियान के लिए बधाइयां देते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अन्तर्गत बच्चों को अधिकार है कि उन्हें शिक्षा, पालन-पोषण आदि का अधिकार मिलना चाहिए किन्तु सी.एम.एस. के बच्चों द्वारा संसार के सभी बच्चों के सुरक्षित भविष्य की मांग अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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चाड सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति अब्दराहिम बिरेमे हामिद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि दरअसल अन्तर्राष्ट्रीय कानून एक ऐसा विषय है जिसकी विश्व में अनदेखी की जा रही है, ऐसे में विश्व के गम्भीर हालातों पर तुरन्त उपाय खोजने की आवश्यकता महसूस की जा रही है और `विश्व सरकार´ का विचार इसी आवश्यकता की पूर्ति करने का प्रयास है। प्रो. अब्दुल सलाम अजीमी, मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, अफगानिस्तान ने कहा कि सी0एम0एस0 व यहां के छात्र इस बात का संकेत है कि यदि विश्व के दो अरब बच्चों को सही शिक्षा मिले तो वे अवश्य ही विश्व का रूप बदल कर रख देंगे। उन्होंने कहा कि डा. जगदीश गांधी व डा. (श्रीमती) भारती गांधी ने सम्पूर्ण विश्व को एक रास्ता दिखाया है, जो विश्व के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इक्वाडोर के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति गालो पिको मंटिला ने अपने सम्बोधन में आशा व्यक्त की कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन में हुई वार्ताओं के जरिए हम वर्तमान विश्व की समस्याओं के समाधान खोजने व विश्व के बच्चों के लिए एक सुरक्षित भविष्य बनाने में सफल होंगे। मॉरीशस सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश मैडम जस्टिस प्रेमिला बालगोबिन ने कहा कि विश्व में कानून की कमी नहीं है।

किन्तु प्रभावशाली विश्व कानून के लिए सभी देशों व जनता का सहयोग और समर्थन चाहिए। राष्ट्रीय कानून को अन्तर्राष्ट्रीय सहमति मिलनी चाहिए व अन्तर्राष्ट्रीय कानून से इसे जोड़ना चाहिए। इसे प्रभावशाली व हितकारी बनाने के लिए जरूरी है कि इसका सही निरीक्षण व विश्लेषण होता रहे। श्रीलंका सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शिराने तिलकवर्धने ने कहा कि बच्चों को अपने अधिकारों को पाने का पूरा हक है और `सुरक्षित भविष्य´ का अधिकार भी उन्हीं में से एक है। उन्होंने कहा कि कानून सिर्फ नागरिकों के आचरण को ही नियिन्त्रत नहीं करता अपितु विभिन्न कानूनों को नियिन्त्रत करने का काम भी करता है इसलिए `प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून´´ की अवधारणा पूर्णतया उपयुक्त है। पेरू सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिलर काबोZनेल विल्चेज ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह आवश्यक है कि अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक कानून व्यवस्था एक अच्छा विचार है परन्तु यह निश्चित करना आवश्यक है कि यह प्रभावशाली भी हो और समस्त विश्व के लिए स्वीकार्य हो। सेशल्स सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहन बुर्हान ने सी-एम-एस- संस्थापक डा- जगदीश गाधी के प्रयासों की सराहना की जिनके पूर्ण समर्पण व दृढ़ विश्वास ने बाल अधिकारों के लिए इस संघर्ष को एक नई दिशा प्रदान की है। इससे आगे के लिए आशा की एक किरण नजर आ रही है। इसी प्रकार तजाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व डेप्यूटी चेयरमैन न्यायमूर्ति सैफुलो गियोव, कोस्टारिका सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश मैडम जस्टिस रोसा एकन एज-जी-, आन्ध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी- चन्द्र कुमार, मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए-डी- माने, आदि कई न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने विचार रखे। इन विद्वान कानूनविदों ने अपने संबोधन में समस्त विश्व समुदाय से मार्मिक अपील की कि वह विश्व के उन तमाम बच्चों के पक्ष में निर्णय ले जो आज भी अन्तर्राष्टीय आतंकवाद, हिंसा, गरीबी, बीमारी व प्रदूषित पर्यावरण के शिकार हैं।

इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गांधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने अपरान्ह: सत्र में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में देश-विदेश से पधारे प्रख्यात न्यायविदों व कानूनविदों के चार दिनों तक चले गहन विचार मन्थन का सार प्रस्तुत किया। न्यायविदों के विचारों का निचोड़ बताते हुए डा. गांधी ने कहा कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। अनुच्छेद 51(सी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य इस ओर प्रयासरत रहेगा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून के लिए आदर भाव हो। डा. गांधी ने बताया कि देश-विदेश से जुटे प्रख्यात कानूनविद यहां अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बनाने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं जिससे विश्व के दो अरब बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके व आने वाला कल सुखमय व शान्तिपूर्ण हो सके। देश-विदेश से पधारे न्यायाधीशों की बात को दोहराते हुए डा. गांधी ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के नये अविष्कारों ने देशों के बीच की दूरी समाप्त कर दी है और समय की सीमा को पार करके अब हम मिनटों में दूर-दूर के देशों से सम्पर्क स्थापित कर लेते हैंं। इस दूरी को समाप्त करने का हमें सही उपयोग करना चाहिए। जहां एक ओर न्यूिक्लयर बम का बटन दबाने से मानव जाति नष्ट हो सकती है वहीं दूसरी ओर दूर बैठे ही किसी बच्चे का आपरेशन व इलाज हो सकता है। इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय कानून ही हमें एक-दूसरे से जोड़ सकता है। डा. गांधी ने बताया कि इस मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन की प्रेरणा हमें आइन्सटीन जैस महान वैज्ञानिक, जवाहर लाल नेहरू और डा0 राम मनोहर लोहिया जैसे विचारक और वसुधैव कुटुम्बकम के महान आदर्श से मिली है। इन सभी महान विभूतियों ने विश्व को एक परिवार के रूप में देखा है व विश्व एकता और विश्व सरकार का सपना बरसों पहले देखा था।

सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने कहा कि विश्व के तमाम देशों के मुख्य न्यायाधीशों व न्यायाधीशों का एक लक्ष्य के एक साथ एकत्र होना इस बात को दर्शाता है कि विश्व के बच्चों के भविष्य की सुरक्षा विश्व के सबसे प्रशिक्षित लोगों के हाथ में है। श्री शर्मा ने बताया कि सी0एम0एस0 के तत्वावधान में आयोजित `विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का दसवें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´ में चार दिनों तक चली गहन चर्चा-परिचर्चा के पश्चात देश-विदेश के न्यायविद् व कानूनविद् कल 14 दिसम्बर को होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से रूबरू होंगे। इसके अलावा विभिन्न देशों के न्यायविद् व कानूनविद् लखनऊ भ्रमण पर भी निकलेंगे एवं लखनऊ की ऐतिहासिक विरासत व गंगा-जमुनी तहजीब को नजदीक से अनुभव करेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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