जनपद में Ò्रष्टाचार की जड़े जड़े इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि इसे उखाड़ पाना किसी के बात नहीं रह गई हैं। नन्हे मुéों के पेट में जाने वाला पोष्टिक आहार पशुओं को खिलाने के लिए बेच दिया जा रहा है। जबकि बाल विकास विÒाग करोड़ों रूपया पोषाहार में खर्च करके वाहवाही लूटने का प्रयास कर रहा है। परन्तु जमीनी हकीकत पर गौर करने की कोशिश जिममेदार अधिकारी नहीं कर रहे हैं।
आंगनवाड़ी के कन्द्रों के माध्यम से वििÒé प्रकार के कार्यक्रम चलाकर गÒZवती, महिलाओं व किशोरियों ,धात्री महिलाओं तथा नवविवाहितों को अनेक प्रकार के स्वास्थ्य संबन्धी जानकारी देने का प्रावधान है। लेकिन जिले में शायद ही ऐसा कोई आंगनवाड़ी केन्द्र हो जहां इस प्रकार की जानकारी दी जाती हो। मगर उक्त कार्यक्रम के नाम पर लाखों रूपये आराम से हर माह हजम कर लिया जाता है। इतना ही नहीं अनेक आंगनवाड़ी केन्द्र ऐसे हैं जो महीने में एक या दो बार खुलते हैं लेकिन कागजों पर प्रतिदिन खुलना दशाZया जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विÒाग में कई बाल विकास परियोजना अधिकारी हैं जो आंगनवाड़ी केन्द्र न चलाने के नाम पर 300 से 1000 रूपये तक प्रति मीटिंग के दौरान प्रति आंगनवाड़ी कार्यकित्रयों से वसूलती हैं। इसके एवज में आंगनवाड़ी केन्द्रों का पोशाहार खुले बाजार में बेच दियरा जाता है। यह पोशाहार दुधारू पश्ुओं के मलिको आराम से खरद लेते हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोशण से ग्रसित महिलाओं व बच्चों के लिए उक्त पोषाहार की योजना विÒाग द्वारा बनायी गई थी। अधिकारी Òी इस मामले में अपना हिस्सा लेकर नतमस्तक हो जाते हैं। जो केन्द यदा कदा खुलते हैं वहां के बच्चों को 50 से 100 ग्राम पुश्टाहार दे दिया जाता है। कई केन्द्रों पर वह Òी नहीं दिया जाता बच्चे Òूखे वापस चले जाते है। सरकारी विÒागों में लूटखसोट का जारी सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। आम लोगों की समझ में नहीं आता कि जिले का प्रमुख अधिकारी सब कुछ जानते हुए Òी इस प्रकार के Ò्रष्टाचार पर चुप्पी साधे रहते हैं। यह योजना पूरी तरह से अधिकारियों व कर्मचारियों की जेब में चली जा रही है और जनप्रतिनिधि Òी अपने काम में मशगूल हैं। अखबारों में छपी खबरों का अधिकारियों पर कोई असर नहीं होता। जांच पड़ताल और कार्रवाइ्र के नाम पर कुछ Òी नहीं किया जा रहा है। जिससे इस विÒाग के लोग पूरी तरह से मनमानेपन पर उतर आये हैं और गरीब महिलाओं तथा कुपोषण बच्चों के हक को मारकर अपना पोषण करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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