`अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´ लागू करना समय की मांग है– देश-विदेश से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों की आम राय
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहे “विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´´ के तीसरे दिन आज 71 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और शान्ति प्रचारकों ने “अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´´ का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि `अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन आज 71 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने जमकर चर्चा परिचर्चा की और `विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य´ एवं `प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून´ पर व्यापक विचार-विमर्श किया। इससे पहले आज के प्रात:कालीन सत्र का शुभारम्भ सी.एम.एस. अलीगंज के छात्रों द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना `आई बियर विटनेस ओ माई गॉड´ से हुआ एवं इसके उपरान्त सी.एम.एस. छात्रों ने विश्व के न्यायविदों के समक्ष विश्व के दो अरब बच्चों की ओर से `सुरक्षित भविष्य´ की अपील प्रस्तुत की। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में आज के प्रात:कालीन सत्र की अध्यक्षता टकीZ सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति हसन जसेZकर ने की जबकि इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पूर्व वाइस-प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति सी.जी. वीरामन्त्री ने की-नोट एड्रेस दिया।
चर्चा की शुरुआत करते हुए सेशल्स के फाउिन्डंग प्रेसीडेन्ट सर जेम्स आर मंचम ने कहा कि युद्ध और मारा-मारी से कोई समस्या स्थायी रूप से नहीं सुलझाई जा सकती है। जब तक मानव अधिकारों का सम्मान नहीं होगा और सभी देशों को समानता का दर्जा नहीं दिया जायेगा, तब तक विश्व में शान्ति नहीं आ सकती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जरूरत इस बात की है कि ऐसी प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बनायी जाए जिससे विश्व में न्याय, एकता व शान्ति स्थापित हो सके, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार और अन्याय समाप्त हो, सबको चिकित्सा का लाभ मिल सके और युद्ध समाप्त हो। की-नोट एड्रेस देते हुए इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पूर्व वाइस-प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति सी.जी. वीरामन्त्री ने कहा कि प्रजातािन्त्रक विश्व सरकार का गठन अतिआवश्यक है। विश्व सरकार, विश्व संसद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही विश्व को बचाने में सक्षम होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह बदला रूप ही मानव जाति का कल्याण कर सकता है व आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी और पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को नियिन्त्रत कर सकता है।
इजिप्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डा. मोहम्मद हॉसनी अली ने कहा कि प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था आज के युग की सर्वाधिक मांग है। आज विश्व में कानून तो है लेकिन कई देश इसका सम्मान नहीं करते और अपनी मनमानी करते हैं। इसलिए देशों मे मतभेद होते हैं और युद्ध जन्म लेते हैं जिनमें कई मासूम जानें चली जाती हैं। इसका एकमात्र समाधान है `अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´ और इसके लिए इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस को सुदृढ बनाना होगा। नामीबिया सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिल्वेस्टर एस. मैंगा ने कहा कि कोई देश, जाति या धर्म छोटा-बड़ा नहीं होता। कानून सबके लिए बराबर है और यही कानून की डोर मानव जाति को एक करती है। मैडम जस्टिस मार्वा मैक्डोनाल्ड बिशप, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, जमैका, ने कहा कि यदि इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस को पूरी शकित प्रदान की जायेगी और लोगों का समर्थन प्राप्त होगा तो यह बाल अधिकारों व बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय कानून लागू कर सकता है। इस अवसर पर भूटान से पधारे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पेमा वैंगहुक ने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से सी0एम0एस0 के संस्थापक डा. जगदीश गांधी व सी.एम.एस. के छात्रों ने विश्व में संवदेना जागृत करने के एक अभियान की शुरुआत की है जिससे हम मानवता के समक्ष मौजूदा कठिनाइयों के प्रति जागृत हों और इनके बारे में कुछ करने की सोचें। इसी प्रकार श्रीलंका से पधारे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.ए. रत्नायके ने कहा कि सी.एम.एस. व यहां के छात्र इस बात का संकेत है कि यदि विश्व के दो अरब बच्चों को सही शिक्षा मिले तो वे अवश्य ही विश्व का रूप बदल कर रख देंगे। इसी प्रकार जिन अन्य न्यायमूर्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए उनमें न्यायमूर्ति जे.एम. गुटरेज अरोयो, सुप्रीम कोर्ट, कोस्टारिका, मैडम जस्टिस ब्याम्बा लुसान्ड्रोज, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, मंगोलिया, मैडम जस्टिस इर्ना हैरियान, न्यायाधीश, सिविल चैम्बर, आर्मीनिया, न्यायमूर्ति भंवर सिंह, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट, न्यायमूर्ति विष्णु सहाय, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट आदि प्रमुख हैं।
आज अपरान्ह: सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गांधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि माननीय न्यायविदों का मानना है कि हम लोगों के बीच संस्कृति, मान्यताओं व सामाजिक मूल्यों की विभिन्नताएं होने के बावजूद हम सब भाई बहन हैं और जब तक हम इन विभिन्नताओं में एकता नहीं स्थापित करते, हम शान्ति व सुख से नहीं रह सकते। डा. गांधी ने जानकारी दी कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। अनुच्छेद 51(सी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य इस ओर प्रयासरत रहेगा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून के लिए आदर भाव हो। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि आज प्रात: विश्व के 71 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों व शान्ति प्रचारकों ने सी.एम.एस. छात्रों व शिक्षकों के विशाल `विश्व एकता मार्च´ में जोरदारी भागीदारी कर सी.एम.एस. के 39000 छात्रों की अपील का पुरजोर समर्थन किया एवं विश्व के 2 अरब बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा हेतु प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था व विश्व सरकार के गठन को खुलकर समर्थन दिया। सम्मेलन में पधारे विश्व के मुख्य न्यायाधीशों व कानूनविदों के नेतृत्व में आज सी.एम.एस. शिक्षकों व छात्रों ने आज `विश्व संसद´, `विश्व सरकार´ व अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था की जोरदार अपील करते हुए विशाल `विश्व एकता मार्च´ निकाला। यह विश्व एकता मार्च आज प्रात: पुरानी चुंगी से प्रारम्भ होकर सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। मार्च में सी.एम.एस. की सभी शाखाओं की प्रधानाचार्याओं व शिक्षक/शिक्षिकाओं ने भी बड़े उत्साह से भागीदारी की, साथ ही सी.एम.एस. के हजारों छात्रों ने हाथों में ग्लोब लेकर न्यायाधीशों की ड्रेस में एवं सभी धर्मो के प्रतिनिधि के रूप में बड़े आकर्षक वस्त्र पहनकर एकता मार्च में भव्य सुन्दरता प्रदान कर आकर्षक बनाया।