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विश्वविख्यात धार्मिक गुरू दलाई लामा की उपस्थिति में हुआ `विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´ का भव्य उद्घाटन, दलाई लामा से मिलकर अभिभूत हुए 71 देशों से पधारे न्यायविद् व कानूनविद्

Posted on 11 December 2010 by admin

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 विश्व को एक नई दिशा देने में सक्षम - न्यायमूर्ति फडीZनो इनासियो रेबेलो, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट
सी.एम.एस. के `विश्व एकता मार्च´ में `विश्व सरकार´ की आवाज बुलन्द की 71 देशों के मुख्य न्यायाधीशों व कानूनविदोें् ने
देश-विदेश के न्यायविदों व कानूनविदों ने संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण

inaugural_iccjwसिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित `विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´ का भव्य उद्घाटन आज प्रात: सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि व विश्वविख्यात धार्मिक गुरु दलाई लामा की उपस्थिति में ईश्वरीय सानिध्य व 71 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों की उपस्थिति इस ऐतिहासिक सम्मेलन की गरिमा का बखान कर रही थी। विश्व एकता, विश्व शान्ति एवं विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य को समर्पित इस ऐतिहासिक सम्मेलन का विधिवत् उद्घाटन इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति फडीZनो इनासियो रेबेलो ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर 71 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायमूर्तियों व शान्ति प्रचारकों ने विश्व की भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य हेतु सी.एम.एस. 39,000 छात्रों की अपील का पुरजोर समर्थन किया। उद्घाटन समारोह में देश-विदेश की गणमान्य हस्तियों व भारी जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि व धार्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि शान्त व दयालु मस्तिष्क से ही भविष्य की रूपरेखा रची जा सकती है। इक्कीसवीं शताब्दी के 10 वर्ष बीच चुके हैं और हमें इन्हीं दिनों में बच्चों की व सारे विश्व की बेहतरी के कदम उठाने की जरूरत है। सबसे जरूरी चीज है कि आप अपनी अन्तरात्मा पर भरोसा करें। हमें किसी भी चीज को केवल भरोस अथवा अंधविश्वास पर ही नहीं अपनाना चाहिए अपितु वैज्ञानिक तौर पर भी जांच परख करें, रियलिस्टक एप्रोच करें और सबसे अधिक आप खुद सोचें कि दुनिया के लिए हम क्या अच्छा कर सकते हैं। होलिस्टक शिक्षा पद्धति पर जोर देते हुए धर्मगुरू ने कहा कि सार्थक शिक्षा अपीयरेन्स व रियलिटी के बीच की दरार को कम करने का सशक्त माध्यम है।

66इस अवसर पर अपने संबोधन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति फडीZनो इनासियो रेबेलो ने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 विश्व को एक नई दिशा देने में सक्षम है। भारतीय संविधान की यह अनूठी धारा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा को बढ़ावा देती है और देशों के बीच सम्मानजनक व न्यायपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करती है।  न्यायमूर्ति रेबेलो ने कहा कि हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि भारतीय दार्शनिकता सदैव मानवजाति को शान्ति, सहयोग, आपसी सौहार्द, अहिंसा, मानव सम्मान व मानव विकास की दिशा दिखाती आई है और अनुच्छेद 51 इसी दार्शनिकता व आदशोZं को स्थायी बनाता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अनुच्छेद 51 विश्व के देशों में न्यायोचित समन्वय के लिए एक नई सोच व दिशा देता है, जिसे शायद सभी देशों को अंगीकृत करना चाहिए एवं इस अनुच्छेद को आित्मक व व्यावहारिक तौर पर अपनाना चाहिए। इस अवसर पर अपने की-नोट एड्रेस में मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री कासम उतीम ने कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने बच्चों के अधिकारों को लेकर जो आवाज पूरे विश्व में बुलन्द की है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। उन्होंने कहा कि विश्व में अराजकता, आतंकवाद व अन्य अपराधों की रोकथाम हेतु मजबूत अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बेहद जरूरी है।

55इससे पहले आज प्रात: सी.एम.एस. द्वारा निकाले गये विशाल `विश्व एकता मार्च´ में 71 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों व विश्व शान्ति समर्थकों ने जोरदार भागीदारी कर “विश्व के 2 अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य´´ की आवाज बुलन्द की। कानपुर रोड स्थित पुरानी चुंगी से सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम तक निकाले गये विशाल `विश्व एकता मार्च´ में देश-विदेश के न्यायविदों व कानूनविदों ने विश्वव्यापी आतंकवाद के समाधान, विश्व के दो अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य एवं `प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था´ की पुरजोर अपील की एवं सी.एम.एस. के विश्व एकता अभियान का पुरजोर समर्थन किया। `विश्व एकता मार्च´ का सशक्त सन्देश देने हेतु एवं लखनऊ की जनता में उत्साह जगाने हेतु धर्मगुरु दलाई लामा इस विशाल `विश्व एकता मार्च´ में शामिल हुए तथापि इस विशाल विश्व एकता मार्च में देश-विदेश की अनेक गणमान्य हस्तियों ने शामिल होकर सी.एम.एस. छात्रों व शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया जिनमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति फडीZनो इनासियो रेबेलो, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति श्री कासम उतीम, प्रदेश के महाधिवक्ता श्री ज्योतीन्द्र मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. पी. मिश्रा, पूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, भारत, न्यायमूर्ति ए. एस. कुरेशी, पूर्व न्यायाधीश, गुजरात हाईकोर्ट एवं न्यायमूर्ति सी.जी. वीरामन्त्री, इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पूर्व वाइस प्रेसीडेन्ट आदि प्रमुख हैं।

111लखनऊ की सरजमीं पर चल रहे इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के दूसरे दिन आज अपरान्ह: सत्र में प्रथम प्लेनरी सेशन में 71 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों जमकर चर्चा परिचर्चा की जिसकी गूंज विश्व के कोने-कोने में पहुंच रही है। अपरान्ह: सत्र की अध्यक्षता उगाण्डा के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. जे. ओडोकी ने की जबकि पूर्व कानून मन्त्री, भारत श्री शान्ति भूषण ने की-नोट एड्रेस प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अपने सारगभिZत भाषण में न्यायमूर्ति बी. जे. ओडोकी ने कहा कि हम विश्व नेताओं के संयुक्त राष्ट्र में बदलाव लाने की उद्घोषणा से उत्साहित है परन्तु हमें विश्व सरकार की स्थापना के प्रयासों को कम नहीं करना चाहिए जिससे अन्तर्राष्ट्रीय कानून की स्थापना को बल मिलेगा। इथयोपिया सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति केमल बेदारी ने कहा कि यह सम्मेलन उस हजारों मील की यात्रा का पहला कदम है जो सबकी भलाई के लिए है। मुझे विश्वास है कि न्यायपालिका न सिर्फ कानूनी निर्णयों को लागू करवा सकती है बल्कि इसमें अपना सुझाव भी दे सकती है, जो कि अधिक महत्वपूर्ण है। की-नोट एड्रेस देते हुए देश के पूर्व कानून मन्त्री श्री शान्ति भूषण ने कहा कि विश्व के बच्चों व आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए एक प्रभावशाली विश्व कानून व्यवस्था व विश्व सरकार की सी.एम.एस. छात्रों की मांग को अवश्य सुना जाना चाहिए ताकि विश्व में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सके। इसके अलावा गािम्बया, मलावी, अर्जेन्टीना, लाटविया एवं जिम्बाब्वे से पधारे न्यायविदों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गांधी ने आज अपरान्ह: सत्र में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच वीटो पावर के होते हुए यह समानता सम्भव नहीं है इसलिए एक प्रजातािन्त्रक विश्व सरकार का गठन अतिआवश्यक है। विश्व सरकार, विश्व संसद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही विश्व को बचाने में सक्षम होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह बदला रूप ही मानव जाति का कल्याण कर सकता है व आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी और पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को नियिन्त्रत कर सकता है। डा गांधी ने आगे बताया कि मुख्य न्यायाधीशों ने सी.एम.एस. के बच्चों की विश्व एकता की अपील को ध्यानपूर्वक सुना व इस पर गहरा विचार-विमर्श किया। इस अपील में छात्रों ने विश्व के दो अरब बच्चों की ओर से इन मुख्य न्यायाधीशों से कहा कि हम बच्चे एक सुरक्षित भविष्य चाहते हैं। हम स्वस्थ जलवायु में सांस लेना चाहते हैं। हमें यह बमों का जखीरा नहीं चाहिए। आज लोग मिलकर ऐसी कानून व्यवस्था बनायें जिससे विश्व में न्याय हो और एकता व शान्ति स्थापित हो सके, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार और अन्याय समाप्त हो, सबको चिकित्सा का लाभ मिल सके और युद्ध समाप्त हो।

आज सायं `विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन´ में पधारे 71 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने हजरतगंज स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारतीय संविधान के निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर इन महान विभूतियों के प्रति अपना हादिZक सम्मान प्रकट किया। इस अवसर पर इन न्यायविदों ने एक स्वर से कहा कि वास्तव में भारतीय संविधान एक अनूठा संविधान है जो कि मात्र अपने ही देश को नहीं अपितु अनुच्छेद 51 के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व को `एकता के सूत्र´ में पिरोता है। यदि विश्व के सभी देश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 के विचारों को आत्मसात कर लें तो आतंकवाद जैसी विश्वव्यापी समस्याओं का कहीं भी नामोनिशान नहीं रह जायेगा। माल्यार्पण समारोह के उपरान्त देश-विदेश के मुख्य न्यायाधीश व कानूनविद प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री सुखदेव राजभर के विशेष आमन्त्रण पर होटल क्लार्क अवध, हजरतगंज में रात्रिभोज में शामिल हुए एवं लखनवी खान-पकवान का आनन्द उठाया। इस अवसर पर प्रदेश के नगर विकास मन्त्री श्री नकुल दुबे उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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