उत्तर प्रदेश के हालात दिन पर दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। जिस प्रदेश की सरकार के एजेन्डे में लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना है उस सरकार से कानून व्यवस्था दुरूस्त बनाये रखने की उम्मीद करना निरर्थक ही है। जब से राज्य में बसपा की सरकार बनी है तब से लोगों की जिन्दगी घोर संकट से घिर गई है। राज्य का पुलिस प्रशासन इतना लापरवाह इसलिए हुआ कि मुख्यमन्त्री ने निर्दोश लेागों पर बढे़ अत्याचार का कभी भी संज्ञान नहीं लिया। बात इस हद तक बिगड़ गई कि प्रशासनिक मशीनरी मुख्यमन्त्री की चाटुकार बना दी गई। अब पूरा का पूरा प्रशासन निरंकुश हो चला है। एलर्ट किए जाने के बाद भी राज्य सरकार का सोते रहना अक्षम्य अपराध है। लगता है आतंकवाद से लड़ने की इसकी इच्छा‘ाक्ति ही मर गई है।
वाराणसी विस्फोट की भयंकर घटना के बाद मुख्यमन्त्री के आंसू पोछू दौर से सरकारी विफलता पर पर्दा नहीं डाला जा सकता। विस्फोट में मृत बच्ची के परिजनो का दु:ख है कि मुख्यमन्त्री ने उनके दु:ख की कोई सुध-बुध नहीं ली। इससे यह भी स्पश्ट हो गया है कि बसपा मुख्यमन्त्री कितनी संवेदनशून्य हैं। वह लूट खसोट की कला में ही दक्षता हासिल किए हुए हैं। वह पूरी तरह अक्षम मुख्यमन्त्री है।
साढ़े तीन वशZ से लुटेरी सरकार के कारण राज्य के लोगों की तबाही हो रही है। राज्य की बबाZदी के लिए केन्द्र की सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है। लगता है दोनों सरकारें निर्दोशों के जीवन के प्रति असंवेदनशील हो गई हैं। राज्य और केन्द्र की सरकारें अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर सिर्फ अपने निजी एवं राजनीतिक स्वार्थो को पूरा करने में लगी हैं।
समाजवादी पार्टी की मांग है कि अगर केन्द्र सरकार भारतीय संविधान के प्रति तनिक भी गम्भीर है तो उत्तर प्रदेश को निकम्मी सरकार से मुक्ति दिलाने की पहल करें ताकि राज्य में व्याप्त अराजकता से लोगों को राहत मिल सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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