शाहगंज कस्बे के आजमगढ़ रोड पर टेलीफोन एक्सचेंज के बगल स्थित शासन द्वारा गरीबों को उपलब्ध कराया गया कांशीराम शहरी आवास मात्र जिस्म फरोशी का गढ़ बनकर रह गया है जहां आये दिन प्रेम प्रपंच व जिस्म फरोशी का ही मामला प्रकाश में आता रहता है।
शासन की मंशा के अनुरूप नगर पालिका व तहसील प्रशासन द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले पात्र व्यक्तियों को 540 आवास पांच माह पूर्व उपलब्ध कराया गया था जहां पर अधिकांश व्यक्ति अपने शहरी आवास के रूप में ताला बन्द कर अपने पुराने Òवन में ही जीवन यापन करते हैं। कस्बे के कुछ धनाढÓ तथा मनबढ़ युवकों द्वारा क्षेत्र के आजमगढ़, फैजाबाद, खेतासराय व सुल्तानपुर से मोबाइल से सम्पर्क कर जिस्म फरोशी के धंधे में लिप्त महिलाओं को बुला लिया जाता है और बन्द पड़े शहरी आवास के रूप में की चाÒी आवास के मालिक से पांच सौ रूपये देकर एक दिन के लिए ले लिया जाता है और फिर दूसरे दिन शहरी आवास के स्वामी को चाÒी दे दी जाती है। इन मनबढ़ युवकों द्वारा यह क्रियाकलाप आये दिन किया जाता है और यहीं से शुरू होता है जिस्म फरोशी का धंधा। अधिकांश युवकों द्वारा Òवन स्वामी से आवास की चाÒी लेने के बाद राित्र में 8 बजे अपनी मोटर साइकिल पर लड़कियों को बैठाकर शहरी आवास में लाया जाता है और सुबह जिस्म फरोशी में धंधे में लिप्त लड़कियों को आजमगढ़ जाने वाली ट्रेन पर बैठा दिया जाता है। शहरी आवास में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि यहां पर संÒ्रान्त परिवार कर रहना दूÒर हो गया है। आये दिन युवकों द्वारा मोटर साइकिल से लड़कियों को यहां लाया जाता है जिसका विरोध करने पर मनबढ़ युवक मारपीट पर आमदा रहते हैं। इसकी शिकायत कई बार पालिकाध्यक्ष व कोतवाली पुलिस से की गई लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। बीते माह इसी शहरी आवास में राित्र में प्रेम प्रपंच के एक मामले को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय की एक युवती द्वारा मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगाने का प्रयास Òी किया गया था।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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