स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधान परिशद के चुनावों मेें साक्षरों को भी निरक्षर बताकर उन्हें सहायकों की सुविधा देकर बसपा सरकार ने जमकर धांधली की थी वही कहानी दुबारा जिला पंचायत चुनावों में दोहराने की कोशिश हो रही है। चुनावों की निश्पक्षता एवं लोकतन्त्र की पारदर्शिता का यह मजाक उड़ाना है। समाजवादी पार्टी की मांग है कि साथी के सहयोग से मतदान कराने के नियम की कमजोर कड़ियों को दुरूस्त करके ही जांच परखकर यह सुविधा दी जाए।
बसपा की राजनीतिक ‘ाुचिता में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह तो छलकपट, साम-दाम दण्ड भेद किसी भी तरह चुनाव जीतने और फिर सत्ता का भरपूर दुरूपयोग करने में विश्वास रखती है। 16 जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्विरोध निर्वाचन के पीछे यही सरकारी साजिश है। इसीलिए वह हरचन्द कोशिश यही कर रही है कि कायदे कानूनों के साथ खिलवाड़ करके धांधली बाजी से विपक्ष को हरा दे और खुद सत्ता पर कब्जा बनाए रखे। इसके लिए उसने समाजवादी पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन में अण्डगे डाले, प्रस्तावक समर्थकों को धमकाया तथा अपहरण तक कर लिया। धनबल तथा बाहुबल के जरिए उसने इन चुनावों को खिलवाड़ बना दिया है। इसलिए पूर्ण आशंका है कि सहयोगी के नाम पर सरकार के इशारे पर इस सुविधा का भी दुरूपयेाग होगा। बसपा सरकार की तिकड़मों से राज्य निर्वाचन आयेाग को बचना चाहिए क्योंकि इस सरकार ने पंचायत चुनावों में उसे हर तरह से पंगु बनाने की साजिश की थी जिसमें कुछ हद तक वह सफल भी रही थी।
समाजवादी पार्टी की यह भी मांग है कि निरक्षर, दृिश्ट बाधित या अन्य अशक्त मतदाता को यदि ÞसहयोगीÞ की सुविधा दी जाय तो उनकी सूची जिलावार 48 घण्टे पूर्व राज्य निर्वाचन कार्यालय लखनऊ में मंगाकर कम्प्यूटर में फीड कराई जाय और 48 घण्टे के पश्चात किसी दशा में भी सुविधा देने की अनुमति न दी जाय। जो मतदाता निरक्षर हों उनकी जांच सम्बन्धित मतदाता के उस नामाकंन पत्र से करा ली जाय जिसको उसके द्वारा जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के समय प्रस्तुत किया गया था। उस नामाकंन पत्र से ही उसके साक्षर अथवा निरक्षर होने की पुिश्ट अभी से करा ली जाय और उसको ही आधार माना जाय। यदि जिला प्रशासन के इस कुकृत्य पर अकुंश न लगाया गया तो उस दशा में चुनाव कतई निश्पक्ष नहीं होगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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