भारत सरकार उत्तर प्रदेश के केन्द्रीय बिक्री कर की क्षतिपूर्ति के क्लेम की धनरािश 2527.93 करोड़ रू0 का भुगतान तुरन्त कराये
इम्पावर्ड कमेटी जी0एस0टी0 के प्रस्तावित स्वरूप का लागू करने से पहले इस व्यवस्था का राज्यों के राजस्व पर पड़ने वाले असर के अनुमान का एक्सपर्ट ग्रुप से समयबद्ध अध्ययन कराये-नकुल दुबे
जी0एस0टी0 की इम्पावर्ड कमेटी की बैठक में वाणिज्य कर मन्त्री का उद्बोधन
उत्तर प्रदो के वाणिज्य कर मंत्री श्री नकुल दुबे ने कहा है कि यदि केन्द्र सरकार जी0एस0टी0 व्यवस्था को लागू करने के प्रति पूर्ण रूप से गम्भीर है तथा इसे लागू करने में राज्य सरकारों का पूरा सहयोग प्राप्त करना चाहती है, तो उसे अपनी विवसनीयता बनाये रखने के लिए वैट एवं केन्द्रीय बीि कर के क्षतिपूर्ति दावों के निस्तारण के लिए एक निर्धारित समयसीमा एवं तिथि निचित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तावित दावों का निर्धारित समयावधि में परीक्षणोपरान्त ात-प्रताित निस्तारण से केन्द्र सरकार की साख मजबूत होगी। उन्होंने केन्द्र सरकार से पुन: यह अनुरोध किया है कि उत्तर प्रदो के र्वा 2007-08, 08-09 व 09-2010 के कुल 2527-93 करोड़ रूपये के केन्द्रीय बीि कर की क्षतिपूर्ति के क्लेम, जिसकी गणना भारत सरकार द्वारा जारी दााि-निर्देााें के अनुरूप की गयी है, का भुगतान तत्काल कराया जाए।
श्री दुबे आज नई दिल्ली में जी0एस0टी0 के सम्बन्ध में आयोजित राज्यों के वित्त मंत्रियों की इम्पावर्ड कमेटी के समक्ष उत्तर प्रदो सरकार का पक्ष प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इम्पावर्ड कमेटी को इस तथ्य का समयबद्ध अध्ययन किसी वाेािज्ञ समूह से करा लेना चाहिए, जिससे यह अनुमान निकाला जा सके कि जी0एस0टी0 के प्रस्तावित स्वरूप को लागू करने से राज्यों के राजस्व पर क्या असर पड़ेगा।
वाणिज्य कर मंत्री ने केन्द्रीय बीि कर एवं वैट के क्षतिपूर्ति के वर्तमान लम्बित दावों के निस्तारण के लिए केन्द्र सरकार से एक स्वायत्ताासी एजेन्सी के गठन का अनुरोध किया। उनका मत था कि यदि एजेन्सी का गठन नहीं किया गया, तो जी0एस0टी0 व्यवस्था में क्षतिपूर्ति से केन्द्र सरकार के आवासन पर राज्य सरकारों को विवास करना मुकिल हो जायेगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने केन्द्रीय एक्साइज ड्यूटी के लिए थ्रो होल्ड लिमिट जो वर्तमान में 1-50 करोड़ रूपये है तथा जी0एस0टी0 व्यवस्था में केन्द्रीय एक्साइज ड्यूटी के लिए यह लिमिट पांच लाख से बढ़ाकर दस लाख की जा रही है, को उत्पादक इकाइयों के लिए सी0जी0एस0टी0 में तीन करोड़ रूपये रखे जाने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सी0जी0एस0टी0 में थ्रो होल्ड लिमिट दस लाख रूपये किए जाने से वे लघु औद्योगिक इकाइयां भी जी0एस0टी0 के दायरे में आ जायेंगी, जो वर्तमान व्यवस्था में केन्द्रीय एक्साइज ड्यूटी के दायरे में नहीं आती, इन ईकाइयों पर कर का भार बढ़ जायेगा तथा यह भी संभावना है कि इनका व्यापार प्रतिस्पर्धात्मक न रह जाये। ऐसी स्थिति में बहुत सी इकाइयां बन्दी का ाकार हो जायेंगी, जिसके फलस्वरूप इन ईकाइयों में काम कर रहे कुाल व अर्द्धकुाल कारीगर बेरोजगार हो जायेंगे।
श्री दुबे ने कहा कि जी0एस0टी0 व्यवस्था में इम्पावर्ड कमेटी द्वारा 99 वस्तुओं को करमुक्त रखे जाने की संस्तुति की गयी है। यदि प्रस्तावित व्यवस्था के अनुसार ही वस्तुएं करमुक्त रखी जाती हैं, तो उत्तर प्रदो में आमजन के उपभोग की बहुत सी वस्तुएं 16 प्रताित कर के दायरे में आ जायेंगी। इतना ही नहीं बनारसी साड़ी, अन्य प्रकार की कढ़ाई की वस्तुएं, जिनका निर्माण कुाल एवं गरीब कामगरों द्वारा किया जाता है तथा जो राज्य की हस्ताल्प की सदियों पुरानी परम्परा को जिन्दा रखे हुए हैं, के उत्पाद भी 16 प्रताित के दर से कर योग्य हो जायेंगी तथा कर का बोझ न उठा पाने के कारण यह ाल्प राज्य से समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को अपने राज्य की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में आवयक वस्तुओं को करमुक्त करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदो सरकार का यह मत है कि जी0एस0टी0 व्यवस्था में वैट व्यवस्था के बाद ही कर के दरों की संरचना होनी चाहिए। इसमें मानक दर एवं एक न्यून दर के अलावा सोने, चांदी जैसी बहुमूल्य धातुओं के लिए भी एक वाेाि न्यून दर रखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केन्द्र सरकार के उस सुझाव से भी सहमत नहीं है, जिसमें सभी वस्तुओं के लिए कुछ र्वााें के उपरान्त एक ही दर रखने का सुझाव दिया गया है, यदि यह व्यवस्था लागू की गयी, तो वर्तमान में 04 प्रताित अथवा 05 प्रताित की दर से कर योग्य वस्तुएं, जिनमें दैनिक उपभोग की बहुत सी आवयक वस्तुएं, जैसे बर्तन, मोमबत्ती, दियासलाई, खाद्य तेल, दवाइयां, होजरी, साइकिल आदि सम्मिलित हैं, 16 प्रताित की दर से करयोग्य हो जायेंगी, जिसका वाेाि प्रभाव गरीबों पर पड़ेगा। इतना ही नहीं, वर्तमान में जिन वस्तुओं पर 13 प्रताित कर योग्य हैं तथा जिन पर 10 प्रताित की दर से एक्साइज ड्यूटी भी देय है, जी0एस0टी0 व्यवस्था में कर का भार घटने से लाभान्वित होंगी। क्योंकि इस नई व्यवस्था में इन पर कर का भार 16 प्रताित रह जायेगा। इसका सीधा लाभ मोटर कार एयरकन्डीानर, एल0सी0टी0, टी0वी0 आदि के निर्माताओं को प्राप्त होगा, जिसका उत्पादन बड़ी बहुराटीय कम्पनियों द्वारा किया जाता है।
श्री दुबे ने कहा कि जी0एस0टी0 में वैट, लक्ज़री टैक्स, मनोरंजन कर, प्रवो कर, जुए, सट्टे एवं लाटरी पर लगने वाले कर जिन राज्यों में लागू, समस्त प्रकार के सेस व सरचार्ज ही विलीन किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह भी मत है कि जी0एस0टी0 लागू होने के बाद भी केन्द्रीय बीि कर को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदो खाद्यान्न उत्पादन में फूड सरप्लस राज्य है। यहां से काफी खाद्यान्न अन्य राज्यों को जाता है, जिस पर राज्य सरकार को कर प्राप्त होता है। यह कर प्रदो के राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। अत: उत्तर प्रदो सरकार खाद्यान्नों को तब तक कर मुक्त करने के पक्ष में नहीं है, जब तक इससे राज्य को होने वाली हानि की ात्-प्रताित क्षतिपूर्ति की व्यवस्था भारत सरकार द्वारा नहीं की जाती।
वाणिज्य कर मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सभी पेटोलियम पदार्थों को, जो वैट के दायरे से बाहर हैं, को जी0एस0टी0 के दायरे से भी बाहर रखने के पक्ष में है। परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित सााेंधनों में लाइट डीजल ऑयल, फर्नो ऑयल तथा नैप्था जी0एस0टी0 से बाहर नहीं रखे गये हैं, जिससे इन पर नॉन वैट वस्तुओं की भांति 20 प्रताित अथवा अधिक दर से कर नहीं लगाया जा सकेगा। यह पदार्थ भी अन्य पेटोलियम प्रोडक्ट्स के समान है। अत: इन्हें भी जी0एस0टी0 के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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