मुख्यमन्त्री के संरक्षण में चल रहे भ्रश्टाचार के नमूने सामने आते जा रहे हैं। धान और गेहूं खरीद के घपलों की जांच की आंच आला अफसरों पर पड़ रही है। मनरेगा में तो सिर्फ ऊपरी कमाई ही की जा रही है। अनुत्पादक मदों पर बजट खर्च कर मोटा कमीशन वसूला जा रहा है। मन्त्रियों के भ्रश्टाचार के साक्ष्य लोकायुक्त की रिपोर्ट में मिल रहे है। इस सबसे घबड़ाई सुश्री मायावती अब अपने मन्त्रियोें, विधायकों को सलाह दे रही है कि वे मीडिया से बचे ताकि उनका भाण्डा फूटने से बचा रहे।
बान्दा में यमुना केन नदी पर बने पुल का लोकार्पण 18 नवम्बर,2010 को लोक निर्माण विभाग के मन्त्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने किया था। यह पुल 13 दिनों बाद ही मंगलवार को दोपहर में ढह गया। इस पुल के निर्माण के लिए वल्र्ड बैंक से अच्छी खासी धनराशि सरकार को मिली थी किन्तु घटिया निर्माण के चलते पुल में चार वर्ग फुट का होल हो गया था। इससे एक महीना पूर्व बान्दा मेडिकल कालेज की इमारत गिर गई थी। इन घटिया निर्माणों की जांच लीपापोती के लिए होगी क्योंकि सब जानते हैं कि निर्माण कार्यो में भयंकर रूप से मोटा कमीशन वसूला जा रहा है। बान्दा श्री नसीमुददीन सिद्दीकी का गृह जनपद भी है इसलिए अपने विभाग की इन गड़बडियों के लिए उन्हें स्वयं नैतिक आधार पर त्याग पत्र दे देना चाहिए। मुख्यमन्त्री भ्रश्टाचार के िख्ेालाफ यदि सचमुच कार्यवाही करना चाहती हैं तो उन्हें स्वयं इस काण्ड के दृिश्टगत अपने मन्त्री को बखाZस्त कर उसके कारनामों के खिलाफ जांच बिठा देने की तत्काल घोशणा करनी चाहिए। अन्यथा वे जो कुछ कह रही है, वह सिर्फ दिखावा और छलावा है।
उत्तर प्रदेश में पिछले साढ़े तीन वशोZ में विकास का ही मुख्यमन्त्री ने विनाश किया हैं। अब वे विकास के झूठे दावे पेश कर रही हैं और चाहती है कि उनका प्रचार हो। इन झूठे दावों की पोल न खुले इसके लिए वे अपने मन्त्रियों विधायकों से Þस्टिंग आपरेशनोंÞ से बचकर रहने को कह रही हैं। लूट, वसूली की बसपा राज में पराकाश्ठा हो गई है, इसलिए अब सुश्री मायावती को डर लग रहा है। प्रदेश कोे हर मोर्चे पर बीमार बनाकर उन्होने उसकी जगहंसाई कराई है। किसान, व्यापारी, कर्मचारी, छात्र, वकील सभी इस बसपा ‘ाासन काल में दमन के शिकार बने हैं। मुसलमान और महिलाएं सर्वाधिक ‘ाोशण तथा असुरक्षा के शिकार हुए है। जनता अब इस कुशासन से छुटकारा पाने को बेचैन है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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