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पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कार्य योजना बने -नकुल दुबे

Posted on 24 November 2010 by admin

जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बचने के लिए कार्य करना सभी का दायित्व

अन्तर्राष्ट्रीय जर्मन संस्था के सहयोग से जलवायु परिवर्तन विषयक राज्य कार्य योजना 15 मार्च 2011 तक तैयार होगी

जलवायु परिवर्तन सम्बंधी राज्य कार्य योजना के विचारार्थ कार्यशाला सम्पन्न

पर्यावरण से खिलवाड़ के दुष्परिणाम परिवर्तित जलवायु के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं। पृथ्वी का तापमान जिस प्रकार से बढ़ रहा है, यदि इसको रोकने के लिए अभी से प्रयत्न नहीं किया गया तो इस सदी के अन्त तक तापमान इतना बढ़ जायेगा जितना हजारों साल में नहीं बढ़ा है। पर्यावरण संरक्षित करने के लिए सरकार, समाजसेवी संस्थाओं एवं जन सामान्य सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

यह बात नगर विकास एवं पर्यावरण मन्त्री श्री नकुल दुबे ने आज यहां ताज रेजीडेंसी में जलवायु परिवर्तन सम्बंधी राज्य कार्य योजना पर विचारार्थ आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए आठ मिशनों का गठन किया है। इन मिशनों के कार्यकारी दलों के परामर्श और इस कार्यशाला में आये निष्कषोZं से कार्य योजना बनायी जायेगी, जिसे 15 मार्च 2011 तक अन्तिम रूप दे दिया जायेगा।

श्री दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्राकृतिक धरोहर से सम्पन्न है, यहां आदर्श मौसम समूह पाया जाता है। इसको बचाने के लिए सभी प्रदेशवासी अपने दायित्वों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा 345 एम एल डी क्षमता का एस टी पी इसी माह से शुरू हो जायेगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु राज्य सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय जर्मन संस्था जी0टी0 जेड0 के सहयोग से जो ठोस कार्य योजना बनेगी, वह प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए मार्गदर्शक होगी।

मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने कहा कि देश एवं प्रदेश में तेजी से विकास हो रहा है। बढ़ते औद्योगिकीकरण से जलवायु में परिवर्तन हो रहे हैं, जिससे फसलचक्र एवं फसल उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। कार्बन उत्सर्जन से विकसित एवं विकासशील दोनों तरह के देश समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं, चाहे वह कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं या नहीं। हमारा देश भी प्रभावित है लेकिन भारत अन्तर्राष्ट्रीय गाइडलाइन्स के अनुसार पर्यावरण संरक्षण एवं कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्रालय के वैज्ञानिक डा0 अखिलेश गुप्ता ने कहा कि सौर ऊर्जा, ऊर्जा, जल, वन, परिवहन, ईको सिस्टम तथा कृषि आदि क्षेत्रों के बारे में सम्नवित कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से 1.33 मिमी प्रति वर्ष समुद्री जल स्तर बढ़ रहा है तथा पिछले 100 साल में वषाZ के ट्रेन्ड में भी बड़ा परिवर्तन आया है। मुख्य वन संरक्षक (योजना) डा0 एस0आर0के0 वाष्णेZय ने बताया कि ग्रीन इण्डिया मिशन के तहत प्रदेश में आगामी 10 वषोZं में 9.26 प्रतिशत वन क्षेत्र को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के लिए योजना बनायी गई है। इसके लिए कृषि वानिकी को बढ़ाना तथा किसानों को प्रोत्साहित करना होगा। निदेशक नेडा श्री नीतीश्वर कुमार कहा कि ने सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने हेतु लोगो को व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से प्रेरित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सोलर उपकरणों हेतु को 12 अंकों का यूनीक नम्बर दिया गया। मरम्मत की सुचारू व्यवस्था हेतु टोल फ्री दुरभाष पर समाधान की व्यवस्था है।

उ0प्र0 ऊर्जा निगम के प्रतिनिधि श्री आर0एम0 चित्रांशी ने कहा कि सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों व उपक्रमों में प्रकाश के लिए सीएफएल का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है। पानी को गर्म करने के लिए सोलर हीटर अनिवार्य किया गया है। जिससे कम से कम ऊष्मा उत्सर्जित हो। इसके साथ ही ऊर्जा की, औद्योगिक, कृषि एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बचत के लिए प्रमाणित विद्युत उपकरणों के प्रयोग को भी अनिवार्य किया गया है।

पर्यावरण निदेशक श्री यशपाल सिंह ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में योजना के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में आई.आई.टी. दिल्ली के डा0 ए0के0गोसाई ने जल संसाधन, डा0 सन्ध्या राव ने कृषि, आई.आई.एम. अहमदाबाद के डा0 अमित गर्ग ने ऊर्जा, एन.पी.एल.नई दिल्ली के डा0 सी0शर्मा ने स्वास्थ्य तथा आई.आई.एससी. के डा0 एन0एच0रवीन्द्रनाथ ने वानिकी/जैव विविधता के बारे में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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