उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्यौगिक, आवासीय, व्यावसायिक आदि गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा जनता को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की भवन नियमावलियों में एक-रूपता लाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही भवन निर्माण से जुड़ी विभिन्न प्रयािओं का सरलीकरण भी किया गया हैै। निर्णय के अनुसार नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए मानचित्रों को जमा करने, मानचित्र स्वीकृत करने की प्रयाि, मानचित्रों के लिए शुल्क, विभिन्न प्रकार के भवनों के लिए मानक तथा मानचित्रों की वैधता आदि को एक जैसा कर दिया गया है। अभी तक इस सम्बंध में तीनों प्राधिकरणों में एकरूपता नहींं थी।
राज्य के औद्योगिक विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह निर्णय जमीन की कीमतें बढ़ने, जमीन की उपलब्धता कम होने, कम से कम भूमि का अधिक से अधिक उपयोग करने तथा भूमि का उपयोग बहुमंजली भवनों के निर्माण करने के उद्देश्य से लिया गया है। भवन नियमावली में एक रूपता लाने के अन्तर्गत भवन मानचित्रों की स्वीकृति की वैधता अवधि को 2 से बढ़ाकर 5 वर्ष तथा पुनर्वैधता की अवधि को 5 वर्ष कर दिया गया है। विभिन्न प्रकार के भवनों के मानचित्रों के अलग-अलग शुल्क में एक-रूपता लाकर अब सभी प्रकार के भवनों के लिए 15 रूपये वर्ग मी0 कर दिया गया है।
किसानों को उनकी अर्जित भूमि के सापेक्ष आवंटित भू-खण्डों में विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने की अनुमन्यता होगी। इससे किसानों को इन भू-खण्डों पर रोजगार के साधन सृर्जित करने का मौका मिलेगा और किसान इन भू-खण्डों के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि भी कर सकेंगे।
औद्यौगिक भूखण्डों के एफ0ए0आर0 फ्लोर एरिया इन्डेक्स में वृद्धि करके एफ0ए0आर0 की गणना प्रयाि को सरल किया गया है। भूखण्ड के क्षेत्रफल के आधार पर भूखण्ड की श्रेणी को कम करने के लिए भूखण्डों को अब तीन श्रेणियों में विभाजित करते हुए एफ0ए0आर0 का पुनर्निधारण किया गया है। एक हजार वर्ग मीटर तक 1-50 एफ0ए0आर0, एक हजार से 12 हजार वर्गमीटर तक 1-30 एफ0ए0आर0 तथा 12 हजार वर्ग मीटर से अधिक 1-00 एफ0ए0आर0 किया गया है। औद्योगिक भवनों की ॅचाई को भी 15 मी0 से बढ़ाकर 24 मी0 तक कर दिया गया है। भू-खण्डों में विस्तार करने के लिए 2-00 एफ0ए0आर0 तक य करने की व्यवस्था की गयी है। इस प्रकार से औद्योगिक भू-खण्डों पर अधिक निर्माण हो सकेगा।
सभी शैक्षिक भवनों के लिए एफ0ए0आर0 को बढ़ाकर 1-50 कर दिया गया है। स्वास्थ्य सेवायें यथा-अस्पताल, नर्सिंग होम आदि के लिए एफ0ए0आर0 भू-खण्ड के क्षेत्रफल के अनुसार 1-25 से 1-75 तक अनुमन्य है, जिसे सभी प्रकार के भू-खण्डों के लिए 2-75 किया गया है। इसके अतिरिक्त लगभग सभी प्रकार के संस्थागत तथा सार्वजनिक सुविधाओं से संंबंधित भवनों के लिए भी एफ0ए0आर0 में वृद्धि की गयी है, ताकि उपलब्ध सीमित भूमि पर अधिकाधिक सुविधाओं का विकास किया जा सके।
भवनों में र्जा, जल आदि संसाधनों का समुचित उपयोग करने के लिए तथा भवनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण को प्रोत्साहित करने के व्यवस्था की गयी है। ग्रीन बिल्डिंग वाले भवनों के लिए अनुमन्य एफ0ए0आर0 के 5 प्रतिशत भाग के बराबर अतिरिक्त एफ0ए0आर0 नि:शुल्क दिये जाने का प्रावधान किया गया है। इसका लाभ उन्हीं भवन निर्माणकर्ताओं को प्राप्त होगा जो ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण तथा रख-रखाव ग्रीन बिल्डिंग मानको के अनुरूप करेंगे।
पार्किंग की समस्या के निवारण के लिए भवन नियमावली में कई प्रावधान किये गये है। इसके लिए छोटे भू-खण्डों में सैट-बैक लाईन तक एक से अधिक बेसमेन्ट का निर्माण करने, 10 हजार वर्ग मी0 से बड़े भू-खण्डों में बाउन्डी से 6 मी0 दूरी तक बेसमेन्ट का निर्माण करने की व्यवस्था होगी। इसके अतिरिक्त सैट-बैक लाइन तक पोडियम का निर्माण करने तथा पार्किंग के लिए अलग बहुमंजिला भवन बनाने हेंतु 5 प्रतिशत अतिरिक्त भू-आच्छादन अनुमन्य करने की व्यवस्था की गयी है। पार्किंग के लिए इन सभी व्यवस्थाओं को एफ0ए0आर0 की गणना से अलग रखा गया है। स्वचालित तथा परम्परागत पार्किंग सुविधाओं के विकास के लिए बहुमंजिलें पार्किंग भवनों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए मानकों का निर्धारण कर दिया गया है।
ग्रुप हाउसिंग योजनाओं में अनुमन्य एफ0ए0आर0 का एक प्रतिशत भाग व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अनुमन्य किया गया है। अनुमन्य एफ0ए0आर0 के 15 प्रतिशत भाग के बराबर अतिरिक्त एफ0ए0आर0 विभिन्न सेवाओं एवं सुविधाओं के लिए नि:शुल्क देने की व्यवस्था की गयी है। इन योजनाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए मानक निर्धारित किये गये हैं। इसके साथ ही इन सुविधाओं एवं सेवाओं की व्यवस्था को अनिवार्य भी बनाया गया है।
सभी प्रकार के भवनों में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था करने, भवन के स्टक्चर की सुरक्षा व्यवस्था करने तथा भवन के अंदर विभिन्न प्रकार की सेवाओं की व्यवस्था का प्राविधान भी किया गया है। अशक्त व्यक्तियों के लिए तथा जल संचयन एवं सम्वर्धन के लिए आवश्यक प्राविधानों आदि की व्यवस्था नेशनल बिल्डिंग कोड के अन्तर्गत करने का प्राविधान किया गया है।
अभी तक केवल ग्रुप हाउसिंग तथा व्यवसायिक भू-खण्डों पर ही एफ0ए0आर0 को तय करने की व्यवस्था थी, जिसे अब औद्योगिक संस्थागत तथा मनोरंजन से संबंधित भवनों के लिए भी अनुमन्य करने की व्यवस्था की गयी है। औद्योगिक संस्थागत तथा मनोरंजन से संबंधित पुराने आवंटियों को भी अपने भवनों में नये बढ़े हुए एफ0ए0आर0 तक विस्तार की सुविधा उपलब्ध होगी। प्राधिकरणों द्वारा अवस्थापना सुविधा/सेवाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था की जा सकेगी। 60 मी0 से अधिक ॅचे भवनों तक एयरपोर्ट अथॉरिटी की अनुमति तथा आई0आई0 टी0 /एन0आई0टी0 से भवन के स्टक्चर की सुविधा प्रमाणित किये जाने के आधार पर हैलीपैड का निर्माण अनुमन्य करने की व्यवस्था की गयी है, ताकि आपातकालीन स्थिति में इन ॅचे भवनों से लोगों को निकालना संभव हो सके। सभी प्रकार भू-खण्डों के खुले भाग के प्रत्येक 100 वर्ग मी0 पर एक पेड़ लगाना अनिवार्य किया गया है, जिसमें न्यूनतम 50 प्रतिशत पेड़ प्रत्येक दशा में सदाबहार म्अमतहतममद प्रजाति के होने चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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