किसानों की दशा बदहाल है। उन्हें फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। सरकार को किसानों की परेशानियों से कोई मतलब नहीं। ऐसे में कर्ज से दबे बहराइच के पिपरिया गॉव के किसान बैजनाथ ने फांसी लगा ली। सरकार ने कर्ज माफी के नाम पर किसानों के साथ धोखाधड़ी की है। बैंकों और साहूकारों की ‘ार्तो में ज्यादा अन्तर नहीं हेाता है। गॉव का किसान साहूकारों के कर्ज से उबरने में समर्थ ही नहीं हो पाता है।
सरकार की संवेदनहीनता का नतीजा है कि प्रदेश में गन्ना किसान, धान किसान अपनी फसल मिल मालिकों की मर्जी पर औने पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। इण्डियन ‘ाूगर मिल एसोसिएशन के सचिव का कहना है कि इस समय गन्ने की रिकवरी 7 फीसदी है। अमूमन 9 फीसदी को सन्तोशजनक माना जाता है। इसी वजह से वे पेराई में देरी कर रही है। यह किसानों के साथ सरासर अन्याय है। धान किसान बेहाल हैं। धान के क्रय केन्द्र अभी तक नहीं खुले हैं।
प्रदेश की मायावती सरकार ने रबी की बुवाई के मद्देनज़र अभी तक खाद, बीज वितरण का भी प्रबन्ध नहीं किया है। डीएपी खाद अनुपलब्ध है। ज्यादातर साधन सहकारी समितियों में ताला बन्द मिलता है। सिचांई के लिए पानी भी नहरों में नहीं है। बिजली न होने से ट्यूबवेल भी नहीं चल पा रहे हैंं। स्थिति गम्भीर है। मिल मालिकों के रवैये से यही लगता है कि उन्हें सरकार ने ही ‘ाह दे रखी है। चीनी मिलों पर काफी बकाया राशि है, वे भुगतान नहीं कर रहे हैं। मुख्यमन्त्री केवल सख्त कार्यवाही का हवाई निर्देश जारी कर चुप बैठ जाती है। अभी तक तो किसी मिल मालिक के खिलाफ हुकुमउदूली के लिए कार्यवाही हुई नहीं है। मिल मालिक भयमुक्त है तो जरूर दाल में कुछ काला है। मुख्यमन्त्री और मिल मालिकों की मिली भगत है।
समाजवादी पार्टी स्थिति के प्रति चिन्ता जताती है और सरकार को स्पश्ट चेतावनी देती है कि वह किसानों को कर्ज के बोझ से न तो फंासी पर चढ़ने देगी और न हीं सरकार को किसानों के साथ मनमानी करने देगी। किसानों के साथ अमानवीय व्यवहार के खिलाफ बड़ा आन्दोलन छेड़ा जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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