कच्ची शराब बनाने में अब बच्चे भी पीछे नहीं
अवैध शराब का धन्धा दिन दूना रात चौगुना फैलता जा रहा है। इस धन्धे मे नाबालिक बच्चे भी दक्ष हो चुके है, और अबैध शराब ये बच्चे बडी ही कुशलता के साथ बनाने में सफल दिखाई दे रहे है। आबकारी विभाग का इससे कोई लेना देना नही है।
जिले में तकरीबन हर गांव में अबैध शराब के धन्धे ने कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है। इस धन्धे ने अभी तक पुरूश व महिलाये ही शामिल थी, लेकिन इन दिनों नाबालिग बच्चे इस कारोबार को चारचान्द लगा रहे है। आलम यह है कि अबैध शराब की भठ्ठी सरेआम धधक रही है। जिसे रोकने के बजाय आबकारी महकमा कुम्भकणीZ नीद सो रहा है। सूत्रो की माने तो यह शराब कब जहर बन जाय किसी को कुछ पता नही। जहरीली शराब अन्य जिलो में कई मौते हो चुकी है, जिसको लेकर शासन सख्त दिखा लेकिन जिला प्रशासन के कान में जूं तक नही रेंगी, कार्यवाही के नाम पर कागजी घोड़े दौडा दिये गये। नतीजतन यह धन्धा दिनबदिन बढता जा रहा है। बानगी के तौर पर नगर कोतवाली से चन्द कदम दूरी पर स्थित गोलाघाट, वल्लीपुर, पाचोपीरन आदि मोहल्लो मेें खुलेआम नाबालिक बच्चे अबैध शराब बनाते देखे जा सकते है। नाम न छापने की शर्त पर एक नाबालिक बच्चे ने बताया कि वह पढाई करता है और परिवार चलाने के लिए अबैध शराब बनाता है। उसने बताया कि हर माह साहब को हजार रूपये देने पडते है छापामारने के पहले उन्हे खबर मिल जाती है कभी कभार पकडे भी गये तो उन्हे छोड दिया जाता है। यही हाल हर जगह का है जहां पर इस जहरीले कारोबार को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे भी हैं मां-बाप जो अपने बच्चों को पढ़ाई कराने के बजाय बनवा रहे हैं अवैध शराब।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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