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पुलिस व्यवस्था में सुधार विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया

Posted on 28 October 2010 by admin

लखनऊ विधि विभाग, लखनऊ बिश्वद्यालय के नवीन परिसर में विधि विभाग, लखनऊ बिश्वद्यालय तथा  इंस्टीट्युट फ‚र रिसर्च एण्ड डोक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेस (आई आर डी एस) द्वारा Þपुलिस व्यवस्था में सुधारß विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था. इस सेमिनार में पुलिस व्यवस्था में सुधार को उसकी समग्रता में समझने का प्रयास हुआ था. इसमें प्रमुख रूप से आई सी द्विवेदी, श्री राम अरुण, के एल गुप्ता, एम सी द्विवेदी, जी एन सिन्हा, एस वी एम त्रिपाठी, एस आर दारापुरी (सभी वरिष्ठ अवकाश प्राप्त आई पी एस अधिकारी) तथा अमिताभ ठाकुर (वर्तमान में आई आई एम में अध्ययनरत) पुलिस की ओर से, राम दत्त त्रिपाठी, जगदीश नारायण शुक्ल, देवकी नन्दन मिश्र तथा ब्रज मोहन दुग्गल मीडिया से एवं ड‚ ए के अवस्थी एवं ड‚ नूतन ठाकुर ने सहभागिता की.

सेमिनार के शुरुआत में ड‚ अवस्थी ने सभी लोगों का स्वागत किया एवं विषय पर चर्चा की. इसके बाद जी एन सिन्हा ने अपने समय की पुलिस और वर्तमान पुलिस का तुलनात्मक विश्लेषण किया और यह बताया कि समय के साथ व्यवस्था में गडबडी आई है जिसका मुख्य कारण राजनैतिक हस्तक्षेप है. एम सी द्विवेदी का मत था कि इन स्थितियों के लिए जनता भी जिम्मेदार है और आज के समय पुलिस व्यवस्था में तत्काल एक भारी परिवर्तन की जरूरत है ताकि इसका असर दिखना शुरू हो. आई सी द्विवेदी ने तमाम सरकारी और विधिक दस्तावेजों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि पुलिस में मुख्य समस्या बाह्य हस्तक्षेप से जुडी है. स्वतन्त्रता से पूर्व यह समस्या नहीं थी पर देश के आजाद होने के बाद से लगातार हालत बिगड़ते गए हैं. उनका मानना था कि आज इस बात की जरुरत है कि प्रकाश सिंह मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का तुरन्त अनुपालन हो.

श्री राम अरुण ने कहा कि आज पुलिस में जो भी समस्या है उसका मुख्य कारण पुलिस के अन्दर ही विद्यमान है. अपनी लालच और अपनी असीम इच्छा के कारण पुलिस के अधिकारी सही-गलत करते ही जा रहे हैं जो काफी खतरनाक रूप ले चूका है. इस स्थिति पर तत्काल रोक जरूरी है. के एल गुप्ता का मानना था कि लोगों के मन में साइड पोस्टिंग और फील्ड पोस्टिंग से सम्बंधित जो धारणा है वह भी इसके लिए बहुत जिमेदार है. इन्होने एक राज्य का उदाहरण दिया जहां यदि कोई अफसर साइड पोस्ट पर रहता है तो कई लोग यह कहते हुए पहुंच जाते हैं कि चलो मुख्यमन्त्री से मिला कर और पैसे दे-दिला कर तुरन्त अच्छी पोस्टिंग करा देंगे.

एस वी एम त्रिपाठी चूंकि काफी समय तक उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्य रहे हैं अत: उन्होंने मानव अधिकारों के बचाव और पुलिस द्वारा इसका सही पालन करने पर विशेष बल दिया. उन्होंने पुलिस मे बिगड रहे अनुशासन की  स्थिति पर भी गहरी चिन्ता जताई. एस आर दारापुरी ने मूलत: एक सामजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में अपनी बात कही और यह निवेदन किया कि पुलिस को अब जनतान्त्रिक मूल्यों का पालन करते हुए अपना काम करना चाहिए न कि जन-विरोधी अपने वर्तमान स्वरुप में.

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि आज इस बात पर विशेष बल  देना चाहिए कि पुलिस द्वारा देश के विभिन्न कानूनों का सम्यक पालन हो और पुलिस अनावश्यक रूप से दुसरे विभागों की समस्या अपने ऊपर आधे-अधूरे ढंग से न ले. इससे हो यह रहा है कि पुलिस अपना भी काम ठीक से नहीं कर पाती और दूसरे विभागों को भी उचित सहयोग देने में सफल नहीं हो पाती. अत: पुलिस को अपने कार्य को कानून और अपनी निर्धारित सीमाओं में करना चाहिए.

देवकी नन्दन मिश्र का यह मानना था कि पुलिस को जनता को साथ ले कर चलना चाहिए और जन भावनाओं का पूरा सम्मान करना चाहिए. जगदीश नारायण शुक्ल ने भ्रष्टाचार को इस सारी समस्या का जड़ बताया और यह कहा कि सतर्कता और भ्रष्टाचार- निवारण संगठनों को और अधिक अधिकार तथा स्वतन्त्रता दिए जाने की जरूरत है. राम दत्त त्रिपाठी का मानना था कि पुलिस एक बड़ी व्यवस्था का अंग है और पुलिस में कोई भी सुधार पूरे परिप्रेक्ष्य में ही हो सकता है.

ड‚ ए क अवस्थी ने इस पूरे सन्दर्भ को न्यायिक और अकादमिक –ष्टि से देखते हुए अपने छात्रों का यह आवहान किया कि वे पुलिस सुधार को बहुत गम्भीरता से लें और इसके महत्व को समझते हुए इस पर आगे कुछ योगदान देने के हिसाब से अभी से सोचें.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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