सिटी मोन्टेसरी स्कूल, चौक कैम्पस द्वारा आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, गणित, इलेक्ट्रानिक्स एवं कम्प्यूटर ओलिम्पयाड “क्वान्टा-2010´´ का आयोजन 9 से 12 नवम्बर 2010 तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में किया जा रहा है। इस ओलिम्पयाड में प्रतिभाग हेतु 21 देशों आस्ट्रेलिया, ब्राजील, चेक रिपब्लिक, फिनलैण्ड, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन, जार्डन, लेबनान, मलेशिया, मॉरीशस, नेपाल, नाइजीरिया, पाकिस्तान, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, ओमान, थाईलैण्ड, नीदरलैण्ड एवं भारत के विभिन्न प्रान्तों के लगभग 500 बाल वैज्ञानिक, विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा विशिष्ट अतिथि लखनऊ पधार रहे हैं। उक्त जानकारी आज यहां आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में `क्वान्टा-2010´ की सचिव व सी.एम.एस. चौक कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती साधना बेदी ने दी। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए श्रीमती बेदी ने कहा कि लखनऊ की सरजमीं पर लगातार सोलहवीं बार आयोजित हो रहा यह अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन सिर्फ लखनऊ में हीं नहीं अपितु विश्व भर के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व अभिभावकों में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। इस ओलिम्पयाड की विश्व भर में लोकप्रियता का यह स्पष्ट प्रमाण है कि 21 देशों के छात्र एवं वैज्ञानिक अपने ज्ञान विज्ञान की अभूतपूर्व छटा फैलाने एवं विश्व बन्धुत्व की आधारशिला रखने लखनऊ पधार रहे हैं।
प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए क्वान्टा-2010 की सचिव श्रीमती बेदी ने कहा कि विश्व समाज को भावी वैज्ञानिकों से भारी आशायें हैं एवं इन्हीं आशाओं को मूर्तरूप में देना क्वान्टा का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में कदाचित विज्ञान अपने चरम सोपान पर कदम रख रहा है और यही वह समय है जब हमें भावी वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन करना है जिससे विज्ञान का प्रयोग मानवता की खुशहाली के रूप में किया जा सके। उन्होंने कहा कि आज यह प्रश्न हम सभी के सामने हैं कि हम विज्ञान का उपयोग कैसे, किस प्रकार और क्यों करें, जिससे कि मानवता फलती-फूलती रहे। श्रीमती बेदी ने जोर देकर कहा कि यह अन्तर्राष्ट्रीय ओलिम्पयाड `क्वान्टा-2010´ देश-विदेश की युवा पीढ़ी का विश्वव्यापी वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में उत्कृष्ट प्रयास साबित होगा। इसके अलावा यह अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन विभिन्न देशों के छात्रों को अपने ज्ञान-विज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना भी है जिससे विश्व के विभिन्न देशों के छात्र अपने गणित, विज्ञान एवं कम्प्यूटर के ज्ञान की तुलना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं द्वारा कर सकें।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्रीमती बेदी ने बताया कि चार दिवसीय `क्वान्टा-2010´ की विशेष बात यह है कि इसमें भावी बाल वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन हेतु अनेक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों का आगमन हो रहा है। ये प्रख्यात वैज्ञानिक जहां एक तरफ अपने अनुभवों से भावी वैज्ञानिकों को रूबरू करायेंगे वहीं दूसरी ओर क्वान्टा की प्रतियोगिताओं में निर्णायकों की भूमिका भी निभायेंगे। इसके अलावा देश विदेश के बाल वैज्ञानिक इन प्रख्यात वैज्ञानिकों के सारगभिZत उद्बोधनों से भी लाभािन्वत हो सकेंगे। श्रीमती बेदी ने बताया कि क्वान्टा की प्रतियोगिताओं में जो विश्वविख्यात वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ निर्णायकों की भूमिका निभाने के लिए लखनऊ पधार रहे हैं, उनमें डा. रिचर्ड फोर्रस्टर, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, इन्टरनेशनल इन्फार्मेटिक्स ओलिम्पयाड, ग्रेट ब्रिटेन, श्री एल्जाकिम श्रीजवर्स, सी.ई.ओ., एल्जाकिम इफार्मेशन टेक्नोलॉजी इन्स्टीट्यूट, नीदरलैण्ड, प्रोफेसर रिचर्ड ए. रसल, प्रो-वाइस चांसलर, यूनिवर्सिर्टी ऑफ एडीलेड, आस्ट्रेलिया, प्रोफेसर जॉन मोस्टोवस्की, इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स पोलिस एकेडमी और साइंस, पोलैण्ड, प्रो0 रामोस डिसिल्वा, चेयरमैन, इण्टरनेशनल साइन्स ओलिम्पयाड, ब्राजील आदि प्रमुख हैं।
क्वान्टा-2010 की प्रतियोगिताओं की जानकारी देते हुए श्रीमती बेदी ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश-विदेश के छात्रों के लिए डिबेट, इनसाइट (स्किल्प्टंग फ्राम कम्प्यूटर जंक), एक्टा-मैथमेटिका (मैथमेटिक्स िक्वज), अक्वा चैलेन्ज (वाटर क्राफ्ट रेस), साफ्टवेयर सल्यूशन, मेन्टल एबिलिटी टेस्ट, साइंस एवं एस्ट्रॉनॉमी िक्वज आदि प्रतियोगिताएं प्रमुख हैं। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से देश-विदेश के छात्र विज्ञान की नवीनतम जानकारियों से भी परिचित हो सकेंगे, साथ ही विज्ञान के अनेक समाजोपयोगी कार्यकलापों से देश-विदेश के बाल एवं युवा वैज्ञानिक छात्रों को परिचित होने का अवसर मिलेगा।
प्रेस कान्फ्रेन्स में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गांधी ने कहा कि युवा पीढ़ी के कंधों पर ही शान्तिपूर्ण समाज बनाने की जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि युवा पीढ़ी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानवता के पक्ष में करने हेतु यह आयोजन अत्यन्त सहायक होगा, तथापि विश्व कल्याण के लिए उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट ज्ञान प्राप्त करने एवं नयी सदीं की विज्ञान की बेहतरीन उपलब्धियों को मानवता के पक्ष में करने के लिए मार्गदर्शन मिलेगा। डा. गांधी ने जोर देकर कहा कि अब केवल वैज्ञानिक या महावैज्ञानिक बनने से काम नहीं चलेगा अपितु मानवतावादी वैज्ञानिक व सकारात्मक-रचनात्मक वैज्ञानिक बनकर ही इस सृष्टि को बबाZद होने से बचाया जा सकता है क्योंकि जैसी हमारी दृष्टि होगी वैसी ही हम सृष्टि का निर्माण कर सकते हैं। डा. गांधी ने इस अभूतपूर्व आयोजन हेतु क्वान्टा की संयोजिका एवं सी.एम.एस. चौक की प्रधानाचार्या श्रीमती साधना बेदी की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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