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राज्य चीनी निगम कीे 11 चीनी मिलों को कौड़ियों के मूल्य बेचकर अपने चहेतों केा हजारों करोड़ का लाभ पहुंचाया

Posted on 14 October 2010 by admin

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री सूर्य प्रताप शाही ने आजं प्रेस को संबोधित करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान बसपा सरकार ने राज्य चीनी निगम कीे 11 चीनी मिलों को कौड़ियों के मूल्य बेचकर अपने चहेतों केा हजारों करोड़ का लाभ पहुंचाया तथा लाखों की संख्या में गन्ना किसानों और चीनी मिल में कार्यरत हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों की रोजी रोटी के साथ भयानक खिलवाड़ किया गया यह सारा खेल सरकार में बैठे कुछ लोगों की मिली भगत से एक उद्योगपति को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से किया गया प्रदेश सरकार का यह कृत्य प्रदेश की जनता के साथ बड़ा धोखा तथा अरबों का आर्थिक घोटाला है । भारतीय जनता पार्टी मॉंग करती है कि इस सौदे को तत्काल रद्द कर सरकार इस घोटाले की जॉंच सी. बी. आई. से कराये

सरकार द्वारा बेची गई चीनी मिलों में से पॉंच पौन्टी चढ्ढा नामक उद्योगपति की दो कम्पनियों को कौड़ियेां के भाव दे दी गईं जिनकी सम्पत्तियों की कीमत हजार करोड़ से डेढ़ हजार करोड़ के बीच है और सभी पॉचों चीनी मिलें लाभ देने वाली चीनी मिलें हैं जिनके ऊपर किसानों का भी कोई भुगतान बकाया नहीं है  इसमें बुलन्दशहर चीनी मिल 29.75 करोड़ , बिजनौर 101.25 करोड़ , सहारनपुर 35.85 करोड़ , चॉन्दपुर 91.80 करोड़ , अमरोहा 17.01 करोड़ में बेच दी गई, जबकि इन चीनी मिलों के पास बुलन्दशहर के जमीन की सरकारी कीमत 58.80 करोड़ वर्तमान स्टाक 30.94 करोड़ , बिजनौर- जमीन की कीमत 156.70 करोड़, स्टाक 71.38 करोड़ , सहारनपुर - जमीन की कीमत 261.77 करोड़ स्टाक 22.50 करोड़ चॉन्दपुर जमीन की कीमत 93.10 करोड़ स्टाक 41.64 करोड़ , अमरोहा - जमीन की कीमत 19.22 करोड़ स्टाक 13.64 करोड़ उपरोक्त सभी पॉंचों मिलों को कुल 273.35 करोड़ में बेच दिया गया। इन पॉचों चीनी मिलों को स्विस चैनल मैथड से रिजर्व प्राइस से भी कम दामों पर बेंच दिया गया जबकि इनके पास लगभग  इतने का ही उपलब्ध स्टाक है इन मिलों के पलॉंट , मशीनरी ,  आवासीय परिसर गोदाम इत्यादि की कीमत शून्य घोषित कर दी गई है।

इसी तरह जरवल रोड , खड्डा , रोहानाकला , सकौतीटॉडा , सिसवाबाजार , को एक अन्य कम्पनी इडिण्यन पोटाश लि. केा अत्यन्त न्यून कीमत पर बेच दिया गया जिनके चल अचल सम्पत्ति का वास्तविक मूल्य बेचे गए मूल्य से कई गुना अधिक है । जरवलरोड बेची गई कीमत 26.95 करोड़ उपलब्ध स्टाक 32.05 करोड़ जमीन की कीमत 53.80 करोड़ सरकार द्वारा निर्धारित कीमत 25.67 करोड़ , खड्डा - बेची गई कीमत 22.05 करोड़ , उपलब्ध स्टाक 25.23 करोड़ भूमि की कीमत 136.90 करोड़ सरकार की निर्धारित कीमत 20.07 करोड़ ,  रोहानाकला - बेची गई कीमत 50.40 करोड़ उपलब्ध स्टाक 30.45 करोड़ , जमीन की कीमत 22.20 करोड़ सरकारी कीमत 41 करोड़ , सकैातीटाण्डा - बेची गई कीमत 43.15 करोड़ उपलब्ध स्टाक 17.72 करोड़ भूमि की कीमत 34.75 करोड़ सरकार की निर्धारित कीमत 41.10 करोड़ , सिसवाबाजार - बेची गई कीमत 34.38 करोड़ उपलब्ध स्टाक 38.24 करोड़ , जमीन की कीमत 42.08 करोड़ , मोहिउद्दीनपुर बेची गई कीमत 37.61 करोड़ उपलब्ध स्टाक 22.98 करोड़ , जमीन की कीमत

108.46 करोड़ , निर्धारित कीमत 62.69 करोड़ ।      मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल भी निजी क्षेत्र को बेची गई । बेची गई चीनी मिलों में बुलन्दशहर , खड्डा , और सिसवाबाजार चीनी मिलों का उपलब्ध स्टाक बेची गई कीमत से अधिक है और अमरोहा, बिजनौर , का स्टाक बेची गई कीमतके आस - पास ही है । इस तरह इन उद्योग समूहों को प्लान्ट , मशीनरी, चीनी मिलों की जमीन भवन , गोदाम , आवासीय परिसर तो मुफ्त उपहार में दे दिया गया ।

इन 11 मिलों के अतिरिक्त चीनी निगम की 13 अन्य चीनी मिलेंा को बेचने की प्रक्रियान्तर्गत निविदायें प्राप्त कर ली गई हैं इन मिलों के लिये प्राप्त मूल्यों की राशि भी उन मिलों की भूमि के सिर्कल रेट के बराबर भी नहीं है। उदाहरण स्वरूप घुघली चीनी मिल की सम्पूर्ण बोली 3.51 करोड़ प्राप्त हुई है जबकि इस मिल की भूमि का मूल्य ही सिर्कल रेट के अन्तर्गत 72.41 करोड़ है । सरकार ने इन प्रस्तावित चीनी मिलों के बेचने की शर्तों में इन मिलों केा चलाए जाने की बाघ्यता समाप्त कर दी है। जो इस बात का संकेत है कि खरीदने वाले लोग इन चीनी मिलों की जमीनों का भू-उपयोग परिवर्तित करा कर प्लाटिंग करा कर बेच दिया जायेगा ।

सरकार द्वारा बेची गई इन चीनी मिलों की पूरी प्रक्रिया दोषपूर्ण है इसमें पारदर्शिता और बिक्री के लिए प्रतिस्पर्धा का पूर्णतया अभाव है तथा जिन कीमतों पर इन चीनी मिलों को बेचा गया है उसमें भारी आर्थिक घोटाला स्पष्टतया दृष्टगोचर होता है । सरकार ने चीनी निगम की इन चीनी मिलों में कार्यरत हजारों कर्मचारी और उनके परिवार को भी भाग्य के भरोसे छोड़ दिया । आर एफ पी का प्राविधान है कि रजिस्ट्री के 21 दिन के अन्दर कर्मचारियों के भुगतान सुनििश्चत कर दिए जांय जबकि रजिस्ट्री के दो माह बाद भी कर्मचारियों केा एक पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया जिसके कारण हजारों परिवार भुखमरी के शिकार हो रहे हैं उनके बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है ।

भारतीय जनता पार्टी यह मॉग करती है कि बेची गई और बेची जारही सभी चीनी मिलों की बिक्री एवं बिक्री प्रक्रिया को निरस्त कर पूरे मामले की सी. बी. आई. द्वारा जॉंच कराई जाय एवं वषोZंं से बन्द पड़ी जिन चीनी मिलों केा बेचा जाना ही एकमात्र विकल्प है उनकी सम्पत्तियों - परिसम्पत्तियों का पुन: पारदशीZ मूल्यॉंकन करा कर निविदा आमन्त्रित की जांय । चीनी मिलों का संचालन सुनििश्चत किया जाय ताकि गन्ना किसानों का अहित न हो और चीनी मिलों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवाएं और उनके भुगतान सुनििश्चत किए जांय ।

निविदा से प्राप्त 24 मिलों का मूल्य 741.23 करोड़ 24 मिलों के स्टाक एवं भूमि का सिर्कल रेट 2250.00 करोड़ 24 मिलों का बाजार भाव से भूमि व स्टाक मूल्य 5000.00 करोड़ लगभग यन्त्र व संयन्त्र का मूल्य सम्मिलित नहीं। इस प्रकार लगभग 5000.00 करोड ़से अधिक की सम्पत्ति को 741.23 करोड़  मात्र में बेच दी गई।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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