Categorized | लखनऊ.

प्रारंभिक स्तर, विवेचना के स्तर तथा अभियोजन के स्तर पर सभी प्रकार की सूचनाएं दिया जाना प्रतिबंधित

Posted on 12 October 2010 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सतर्कता विभाग तथा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को प्रमुख सचिव, सतर्कता के शासनादेश संख्या 2339ध्39-4-2010-21ध्05 दिनांक 22 सितम्बर 2010 के जरिये जन सूचना अधिनियम 2005 के प्रावधानों के बाहर किये जाने की कार्यवाही को गलत मानते हुए आज ड‚ नूतन ठाकुर, कन्वेनर, नंशनल आर टी फोरम द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दायर किया गया.

याचिकर्ता के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने यह आदेश जन सूचना अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 के अधीन दी गई शक्तियों के तहत किया है.  तर्क यह दिया गया  है कि चूंकि इन विभागों में अधिकायियों के विरुद्ध जांच तथा विवेचना चलते रहते हैं और इस प्रकार से सूचना दिए जाने से विवेचना की प्रक्रिया तथा अपराधियों के अभियोजन गलत प्रकार से प्रभावित हो सकते हैं. अत: प्रारंभिक स्तर, विवेचना के स्तर तथा अभियोजन के स्तर पर सभी प्रकार की सूचनाएं दिया जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है.

ड‚ ठाकुर ने अन्तरिम राहत के रूप में इस रिट के निस्तारण तक इस शासनादेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है जबकि मूल राहत इस आदेश को निरस्त किये जाने के सम्बन्ध में है. याचिकर्ता द्वारा कहा गया है कि आर टी आई एक्ट का मूल उद्देश्य प्रत्येक लोक सेवा में पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व लाना है और यह शासनादेश ठीक इसी उद्देश्य के विर्पित काम करता है. याचिका में धरा 8 (1) (ी) का भी जिक्र है जिसके अन्तर्गत उन तमाम सूचनाओं को दिए जाने से निषेध है जिससे विवेचना तथा अभियोजन गलत ढंग से प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में इस प्रकार से धारा 24(4) का प्रयोग करने का औचित्य समझ में नहीं आता है. साथ ही यह भी कि धारा 24 केन्द्र तथा राज्य सरकारों को यह अधिकार तो प्रदान करता है कि सुरक्षा तथा आसूचना संगठनों को अनुसूची दो में  रख पर उन्हें सूचना के अधिकार के प्रावधानों के बाहर रख सकती है पर इसमें यह बात साफ तौर पर लिखा हुआ है कि इसमें भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के मामले शामिल नहीं होंगे.

याचिका के उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग और केन्द्र में इसी कार्य के लिए बने सेन्ट्रल विजिलेंस कमीशन और सेंट्रल ब्यूरो अ‚फ इन्वेस्टिगेशन का तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत है. ये दोनों संस्थाएं जहां अपने वेब साईट पर शिकायत का विवरण, अभियोजन स्वी—ति में विलम्ब, विभागीय कार्यवाही, अन्वेषण की स्थिति आदि तमाम सूचनाएं आम लोगों की जानकारी के लिए प्रदान करती है वहीं यू पी में इसे छिपाने का प्रयास हो रहा है. साथ ही ये दोनों संस्थाएं सूचना का अधिकार से बाहर भी किसी प्रकार से नहीं हैं.

रिट में यह बात कही गई है कि इस प्रकार से सूचनाएं नहीं दिए जाने से भ्रस्ताचार के मामलों में बढ़ावा हिमिलेगा क्योंकि इन तमाम लोगों पर जनता और लोक-लाज का दवाब भी उसी हद तक कम हो जाएगा. याचिका में विशेष कर रिट याचिका संख्या (डध्ठ) 5074 वि 2004 निर्देश कुमार दीक्षित बनाम उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रमुख सचिव सतर्कता का भी उल्लेख है जिसमे अमिताभ लाला तथा ऋतुराज अवस्थी, न्यायाधिशगण ने अपने 12ध्05ध्2010 के आदेश मे उत्तर प्रदेश सरकार से यह पुछा है कि जो लोग उस सतर्कता जांच मे दोषी पाये गए थे वे उच्च स्थानों पर किस प्रकार से नियुक्त हैं. इन अधिकारियों में कुंवर फतेह बहादुर का भी नाम है जो वर्तमान में स्वयं प्रमुख सचिव सतर्कता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in