भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा ने बहुजन समाज पार्टी सरकार के उस दावे की पोल खोलकर रख दी जिसके माध्यम से सरकार ने प्रदेश में हिंसामुक्त मतदान संपन्न कराने की बात कही थी और सुदृढ़ कानून व्यवस्था होने का दावा कर रही थी। पार्टी प्रवक्ता सत्यदेव सिंह ने आज पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों पर वार्ता करते हुये बताया कि चुनाव में जिस तरह की महा भयावक स्थिति उभरकर सामने आई उसके लिए सीधे प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। सरकार के निष्पक्ष व शान्तिपूर्ण चुनाव कराने के दावे पूरी तरह खोखले साबित हुये। श्री सिंह ने कहा कि उपद्रव,मतपेटियोंं व मतपत्रों की लूट, फायरिंग और बूथ कैपचरिंग आदि पर जो दृश्य कैमरों ने दिखाया वह चुनाव में हुई धांधली की पूरी साफ स्थिति नहीं है। यहां तक की एक जगह तो पीठासीन अधिकारी के अपहरण का भी प्रयास हुआ। खूनी संघर्ष में सैकड़ों से ज्यादा लोग घायल हुये। संघर्ष में चार लोगों को मृत्यु हो गई।
प्रवक्ता ने कहा कि मतदान केन्द्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनाव में प्रशासन तन्त्र की मिलीभगत होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। बड़ी संख्या में बसपा समर्थकों ने सुनियोजित तरीके से अराजकता फैलाई। पुलिस की उपस्थिति में बड़े पैमाने पर कैप्चरिंग हुई बूथ लुटे गये व मतपत्र छापे गये हैं। अनेक जगहों की चुनावी धांधली को प्रशासनतन्त्र ने दबा दिया है। मतदाताओं को अनेकों जगहों पर मतदान नहीं करने दिया। बहुत जगहों पर मतदाता के वोट पहले ही डाल दिये गये। श्री सिंह ने कहा कि इस अराजक आधार पर हुये चुनाव में आने वाले परिणाम जनमत के ईमानदारी से दिये गये मतानुसार नहीं आयेेंंगे। यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्री सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी के रामराज्य के सपने का आधार ग्राम स्वराज्य था। ग्रामीणों के सशक्तिकरण को आवश्यक बनाना ही ग्राम स्वराज्य का आधार था। संविधान के अनुच्छेद 73वें में ग्राम पंचायतों को वैधानिक ढांचा बनाया गया है। उनको अधिकार सम्पन्न किया गया है। इन चुनावों में जिस प्रकार से धनबल,बाहुबल,गुण्डातन्त्र, माफियातन्त्र ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी हुये हैं वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं निन्दनीय है। ये चुनाव 2012 के आगामी विधान सभा चुनाव की पूर्व संध्या पर बसपा सरकार का बेनकाव चेहरा सामने लेकर आये।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने स्वयं एक दर्जन से अधिक जिला में हिंसा होना स्वीकार किया है। सभी राजनैतिक दलों से लोकतन्त्र की गिरती छवि को बचाने और राजनैतिक सुधारों पर आम सहमति बनाने की तत्काल आवश्यकता बताई।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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