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मुख्यमन्त्री ने जो बुत सजाए हैं, वे भी सब जाति की पहचान के साथ हैं

Posted on 10 October 2010 by admin

बसपा के संस्थापक स्व0 कांशीराम की चौथी पुण्य तिथि (9 अक्टूबर) पर जनता की गाढ़ी कमाई के 30 हजार करोड़ रूपयों से ज्यादा की बबाZदी से बने पत्थर के पाकोZ, स्मारकों और बुतों की रंगारंग प्रदशZनी को मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने अपना विकास माडल जताकर प्रदेश की बाढ़-बीमारी ओर गरीबी से त्रस्त भययुक्त जनता का अच्छा मजाक बनाया है। अपने आलोचकों को जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त बताकर उन्हेांने स्वंय को धोखा देने का काम किया, क्योंकि यह तो जगजाहिर है कि बसपा की नींव ही जाति की राजनीति पर रखी गई है और वे स्वयं यह घोिशत कर चुकी हैं कि उनका उत्तराधिकारी उनकी ही जाति का होगा, दूसरा नहीं। मुख्यमन्त्री ने जो बुत सजाए हैं, वे भी सब जाति की पहचान के साथ हैं। इन जाति पुरूशों के बुत निर्माण की आड़ में कमीशन के घपले में कितना धन कमाया गया, यह सच सामने आते ही दलितों केा मालूम हेा जाएगा कि मुख्यमन्त्री द्वारा उनकी इतनी तरफदारी क्यों की गई थी।

मुख्यमन्त्री का कहना है कि उनके उक्त निर्माण कार्यो के खिलाफ न्यायालयों मे याचिका दाखिल करने वाले दलित महापुरूश विरोधी और विकास विरोधी हैं। मुख्यमन्त्री को बताना चाहिए कि उन्हेांने प्रदेश में कहॉ कौन विकास कार्य किया है। बिजली पानी का संकट है। स्व0 कांशीराम के नाम पर आवास योजनाओं में घोटाला है। अम्बेडकर गॉवों की दुर्दशा है। उद्योग धंधों की हालत खराब है। विकास ‘ाून्य प्रदेश में पत्थरों की सजावट को ही वे ‘ाायद विकास मानती हैं। जबकि पत्थर और विकास में कोई सम्बन्ध नहीं है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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