सामाजिक कार्यकर्ता डा0 नूतन ठाकुर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि उत्तर प्रदेश में सतर्कता विभाग तथा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को जन सूचना अधिनियम 2005 के प्रावधानों के बाहर कर दिया गया है. इसे जन सूचना अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 के अधीन दी गई शक्तियों के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया है. जानकारी के अनुसार इसे प्रमुख सचिव, सतर्कता, उत्तर प्रदेश के दिनांक 22 सितम्बर 2010 के आदेश से जारी किया गया है. तर्क यह दिया गया है कि चूंकि इन विभागों में अधिकायियों के विरुद्ध जांच तथा विवेचना चलते रहते हैं और इस प्रकार से सूचना दिए जाने से वे गलत प्रकार से प्रभावित हो सकते हैं.
धारा 24 केन्द्र तथा राज्य सरकारों को यह अधिकार प्रदान करता है कि सुरक्षा तथा आसूचना संगठनों को अनुसूची दो में रख पर उन्हें सूचना के अधिकार के प्रावधानों के बाहर रख सकती है पर इसमें यह बात साफ तौर पर लिखा हुआ है कि इसमें भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के मामले शामिल नहीं होंगे.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इतने स्पष्ट प्रावधान के बावजूद सतर्कता विभाग तथा उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को सूचना के अधिकार के बाहर कर दिया है जो सीधे-सीधे सूचना के अधिकार के प्रावधानों से छेड़-छाड़ और खिलवाड़ है. साथ ही यह इस अधिनियम की मूल भावना पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के भी विरोध में है.
नेशनल आर टी आई फोरम उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश की पूरी तरह निन्दा करता हैं और यह मानता है कि इसके फलस्वरूप पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के विरुद्ध स्थिति बन जाती है. हम उत्तर प्रदेश सरकार तथा माननीय राज्यपाल से इस आदेश पर पुनर्विचार करते हुए इसे वापस लेने की मांग करते हैं. हमने इस हेतु उत्तर प्रदेश सरकार तथा माननीय राज्यपाल को अपना प्रतिवेदन भी प्रेषित किया है. किन्तु ऐसा नहीं होने पर हम समस्त लोकतन्त्रात्मक विधियों से इसका विरोध करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर विधिक कार्यवाही भी करेंगे क्योंकि हमारा मानना है कि यह कार्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में सीधे तौर पर गलत सन्देश प्रेषित करेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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