`युद्ध अच्छे नहीं होते, युद्धों को टाला जाना चाहिए… युद्ध में मानवाधिकारों का सर्वाधिक उल्लंघन होता है´´…. कथाकार महेन्द्र भीष्म के सन्द्य प्रकाशित उपन्यास `जय! हिन्द की सेना´ के लोकार्पण समारोह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति श्री शबीहुल हुसनैन मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शिवमूर्ति, आलोचक साहित्यकार रजनीगुप्त कथाकार मनसा पाण्डेय, कथाकार अमिता दुबे, समीक्षक बंधु कुशावर्ती ने 1971 के भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखे गये उपन्यास `जय! हिन्द की सेना´ के कथा शिल्प की चर्चा करते हुए महेन्द्र भीष्म की इस कृति को हिन्दी साहित्य के लिए महत्वपूर्ण बताया। ले.कर्नल सत्यवीर यादव, प्रो. एस. के. गौण एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार श्री मदन मोहन `मनुज´ ने भी उपन्यास की विषयवस्तु व कथाविन्यास पर चर्चा की। लोकार्पण समारोह में ही कथाकार महेन्द्र भीष्म व 1971 युद्ध में वीर चक्र प्राप्त ले. कर्नल आर. पी. चतुर्वेदी एवं सिपाही माया राम वर्मा को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।
`ऐ मेरे प्यारे वतन´ गीत की सस्वर प्रस्तुति करते हुए गज़लकार श्री देवकीनन्दन `शान्त´ ने पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन किया। मोती महल वाटिका में चल रहे पुस्तक मेला के आयोजक श्री देवराज अरोड़ा ने उपस्थित जनसमूह को धन्यवाद ज्ञापित कर आभार व्यक्त किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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