भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि दलितों के नाम पर सत्ता में बैठी उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री मायावती दलितों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र तिवारी ने आज पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि जिन गुण्डों की गुण्डागदीZ के खिलाफ नारा लगाकर मुख्यमन्त्री मायावती चुनाव जीती थी अब वही उनके पार्टी के नेता हैं और उनके द्वारा दलितों का लगातार उत्पीड़न जारी है इसका ज्वलन्त उदाहरण है गोण्डा के वरिष्ठ बसपा नेता ने दलित महिला को पंचायत चुनाव के नामांकन से रोक दिया जिसकी सूचना समाचार पत्र के माध्यम से प्रदेश के निर्वाचन आयोग से मिल चुकी है लेकिन जहां पर चुनाव आयोग को इस पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए थी वही पर सत्ता पक्ष के दबाव में चुनाव आयोग अभी तक मौन साधे है।
श्री तिवारी ने आगे बताया है कि बसपा नेता, राज्य सरकार के मन्त्री, प्रशासन को दबाव में लेकर पंचायत चुनाव में आचार संहिता से धड़ल्ले से धज्जिंया उड़ा रहे हेैं। आश्यर्च तो यह है कि प्रदेश के समाचार पत्र चुनावों हत्याओं से रंगे पड़े हैं, न्यूज चैनल अलग-अलग रोज इन घटनाओं को दिखा रहे हैं जबाव में उ0प्र0 शासन की ओर से बेशर्मी और सफेद झूठ न सिर्फ बोला जाता है बल्कि लिखित रूप से दिया जाता है कि ये हत्यायें चुनावी नहीं हैं।
प्रवक्ता ने आरोप लगाते हुये कहा है कि आजमगढ़ में प्रधान पद के प्रत्याक्षी, बाराबंकी में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी की हत्या का कारण ही यही था कि वह किसी न किसी पद के उम्मीदवार थे। राज्य सरकार में हिम्मत हो तो बताये कि राज्य में चुनाव लड़ रहे अब तक कितने प्रत्याशियों की हत्या हुई र्षोर्षो भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार से इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मॉंग की।
श्री तिवारी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा है कि जहरीली शराब बनाने वाले माफिया पंचायती चुनाव के अवसर पर उ0प्र0 में समानान्तर सरकार चला रहे हैं। जहरीली शराब में प्रदेश में अब तक दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। राज्य के आबकारी मन्त्री यदि इस पर नियन्त्रण नहीं कर पा रहे तो नैतिकता के आधार पर अपने पद से तत्काल त्यागपत्र दे देना चाहिए। श्री तिवारी ने जहरीली शराब से हुयी गरीबों की मौत पर सरकार द्वारा दिये जा रहे रूपया 20 हजार का मुआवजे देकर उनकी गरीबी का मखौल उड़ा रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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