समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा सत्तारूढ़ दल और मुख्यमन्त्री के दबाव में पंचायत चुनावों में धांधली अपनी चरम सीमा पर है। इसमें प्रशासनिक मशीनरी सहयेागी बन गई है। चुनाव की आचार संहिता का उल्लंघन अब वही करने लगे हैंं जिन पर उसके पालन कराने की जिम्मेदारी है। यह स्थिति लोकतन्त्र के लिए बहुत चिन्तनीय है। दबाव डालकर विपक्षियों को चुनाव लड़ने से वंचित करने के प्रयास निन्दनीय है।
प्रदेश की बसपा सरकार ने छलबल और बाहुबल-धनबल के सहारे पंचायत चुनावों में अपने ही आदमियों को जिताने का पूरा इन्तजाम कर लिया है। इसके तहत अब निर्वाचन अधिकारियों का उपयोग विपक्षियों के नामांकन रद्द करने में किया जा रहा है। यह निर्वाचन सम्बंधी सभी मान्य प्रक्रियाओं की हत्या है।
फिरोजाबाद जनपद के जिला पंचायत सदस्य पद हेतु चुनाव के तीसरे चरण में पूर्व केन्द्रीय मन्त्री श्री रामजी लाल सुमन की पुत्रवधू ने नामांकन किया था जिनका नाम ग्राम नागऊ ब्लाक फिरोजाबाद तहसील टूण्डला की मतदाता सूची में था। लेकिन प्रियंका सुमन का पर्चा दो जगह मतदाता सूची में नाम होने के आधार पर खारिज कर दिया गया। वहीं बसपा के फिरोजाबाद से विधायक श्री राकेश बाबू का पूरा परिवार नगला करन सिंह में रहता है परन्तु उनके नाम जनपद के नारखी ब्लाक के गांव कुतुबपुर चनौरा में भी अंकित है। श्री राकेश बाबू के पुत्र प्रमोद कुमार ने वार्ड संख्या 15, श्री राकेश बाबू की पुत्रवधू सुनीता देवी ने वार्ड संख्या 22 तथा राकेश बाबू के भाई सत्ते कुमार पुत्र श्री राम दयाल ने वार्ड संख्या 5 से अपने नामांकन भरे और इन्हें बिना किसी आपत्ति के स्वीकार कर लिया गया है।
चूकि बसपा विधायक की निगाह जिला पंचायत अध्यक्ष पर है इसलिए प्रियंका सुमन का नाम वार्ड संख्या 25 के नामांकन के दिन मतदाता सूची से काट दिया गया। उनके पक्ष की सुनवाई नहीं हुई। वैसे इस बात की आशंका को देखते हुए 2 अक्टूबर को ही आयुक्त उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग को फैक्स से जिलाधिकारी, फिरोजाबाद की मंशा से अवगत करा दिया गया था। उससे पूर्व जिलाधिकारी को हलफनामा देकर कहा गया था कि प्रियंका सुमन अपने मताधिकार का प्रयोग एक से ज्यादा स्थान पर कतई नहीं करेगी। जिलाधिकारी/ निर्वाचन अधिकारी द्वारा अवैधानिक ढंग से पर्चा खारिज करने का जब हजारों लोगों ने विरोध प्रदशZन किया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
मुख्यमन्त्री के निर्देश पर जिलो में कुछ निर्वाचन अधिकारी दोहरे मापदण्ड अपनाकर बसपा के चाकर बन रहे हैं। महामहिम राज्यपाल और निर्वाचन आयुक्त को तत्काल इस मामले का संज्ञान लेकर निर्वाचन की स्वतन्त्रता एवं निश्पक्षता की सुरक्षा करनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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