उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा यू पी ए की अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिए जाने हेतु एक मेमोरैनडम प्रेषित किया गया है. इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता तथा पूर्व विधि मन्त्री शान्ति भूषण द्वारा सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के ऊपर लगाए गए आरोपों ने सम्बन्ध में अनुरोध किया गया है. इसमें निवेदन किया गया है कि जिस प्रकार से शान्ति भूषण और उनके पुत्र प्रशान्त भूषण, जो स्वयं भी एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, ने पूर्व मुख्य न्यायाधीशों पर आरोप लगाए हैं उससे यह आवश्यक हो गया है कि इस पूरे प्रकरण की जांच मात्र न्यायपालिका के स्तर से ना हो कर एक स्वतन्त्र जांच समिति द्वारा कराइ जाए.
इसमें विशेष कर प्रा—तिक न्याय के सिद्धान्तष्कोई व्यक्ति अपने ही मामले में जज न रहेष् तथा ष्सारी न्यायिक प्रक्रिया इस प्रकार संपादित होनी चाहिए जिससे सभी लोगों को अपनी बात कहने का अवसर मिलेष् के आधार पर नेशनल आरåटीå आईå फोरम तथा आईåआरå डीå एसå नामक लखनऊ के दो सामाजिक संगठनों द्वारा यह मांग रही गई है कि इस मामले में जांच के लिए एक स्वतन्त्र जांच कमिटी बनायीं जाए जिसमे भारत के मुख्य न्यायाधीश, केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल के एक कैबिनेट मन्त्री, लोक सभा में विपक्ष के नेता तथा मेधा पाटेकर एवं अन्ना हजारे जैसे कोई दो पूर्णतया निर्विवाद छवि वाले दो सामजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाए. हम ने यह भी मांग रखी है कि यह जांच कमिटी छह माह में अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दे.
हमारा यह भी मानना है कि यदि शान्ति भूषण द्वारा लगाए गए आरोप गलत साबित होते हैं तो उनके विरुद्ध अवमानना सम्बंधित कठोरतम कार्यवाही होनी चाहिए पर किसी भी दशा में मामले में जांच होने में देर नहीं ही क्योंकि इससे न्यायपालिका की साख पर एक गहरा धक्का लगेगा.
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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