Categorized | लखनऊ.

खेतों में जल भराव न होने दें

Posted on 25 September 2010 by admin

उत्तर प्रदेश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहां फसल नष्ट हो गई है, उसकी भरपाई के लिए अगेती रबी की फसलों का चयन करें। ज्वार, बाजरा, मक्का, दलहनी एवं तिलहनी फसलों में खेतों में जल भराव न होने दें। अक्टूबर माह में बोई जाने वाली गन्ने की प्रजातियों यथा यू0पी0-9530 एवं को0सा0 96436 को प्राथमिकता दी जाय। वातावरण में नमी की उपस्थिति रहने के कारण कीट के प्रकोप की सम्भावना बनी रहेगी इसलिये सतर्कता रखते हुए रोकथाम का तुरन्त उपाय करें।

फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार जिन खेतों में पानी कम गहराई का बना हुआ है और वहां ट्रापड्रेसिंग करना सम्भव नहीं है तो 2 प्रतिशत यूरिया का पणीZय छिड़काव करें। प्रत्येक दशा में धान में फूल खिलने एवं दुग्धावस्था में खेतों में नमी बनाये रखना आवश्यक है। खेतों को खरपतवार से मुक्त रखें, जिससे कीट व्याधियों को रोका जा सके तथा पौधों को समुचित पोषक तत्व मिल सके। जल निकासी व्यवस्था वाली भूमियों में मौसम साफ एवं उपयुक्त होने पर तोराई की बुआई करना चाहिये। उन्होंने बताया कि अगेती आलू की बुआई का समय उपयुक्त है। अत: शीत भण्डार से बीज निकाल कर शोधन के अपरान्त ही बुआई करें।

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वषाZ नहीें हो रही है वहां पानी बबाZद न हो, इसके लिए जल संरक्षण के उपाय अपनायें। तिलहनी फसलों में तीन बोरी जिप्सम प्रति हे0 दलहनी फसलों में दो बोरी जिप्सम प्रति हे0 की दर से प्रयोग करें। यह तब ही करें जब बोआई के समय जिप्सम का प्रयोग न किया गया हो। अरहर की फसल एक माह की हो गई है, तो 10 किलो ग्राम यूरिया की प्रति हे0 की दर टाप ड्रेसिंग करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in