युवा घुड़ सवार देश का नाम रौशन करेगी स्थवी की झोली में 18 पदक
न्यूजीलैण्ड के खिलाड़ी मार्क टोण्ड की घुड़सवारी से प्रभावित स्थवी अस्थाना ने अपने जीवन का लक्ष्य ओलिम्पक में भारत के लिए गोल्ड मेडल प्राप्त करना बनाया है। अड़ियल घोड़ों की सवारी का जुनूनी शौक रखने वाली स्थवी सफलताओं की सीढ़ी निरन्तर चढ़ती जा रही है और उसका यह जुनून निश्चित तौर पर उसे ओलिम्पक में गोल्ड मेडल दिलायेगा।
आई.ए.एस. माता-पिता की कम उम्र की इस बच्ची ने लगभग डेढ़ साल पहले इलाहाबाद में पहली बार घोड़े की सवारी की थी। इसके बाद उसे घुड़-सवारी का जो चस्का लगा उसने उसे थोड़े समय में ही 18 पदकों का मालिक बना दिया। उसे मिले पदकों में नौ पदक सोने के, पांच पदक चॉदी के और चार पदक कांस्य के हैं। इस साल दिल्ली में हुये हार्स शो में स्थवी अस्थाना को एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक मिला। दिल्ली में ही हुये एफ.ई.आई. अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबले में स्थवी पॉंचवा और ड्रे साज में चौदहवां स्थान लेने वाली महिला खिलाड़ी बन गई। नोएडा में हुये हार्स शो मुकाबले में भी उसे बेस्ट राइडर का खिताब मिला।
युवा घुड़ सवार स्थवी अस्थाना बचपन से ही अडियल घोड़ों की नकेल कसती रही, बावजूद इसके कि उसके पास अपना कोई घोड़ा नहीं रहा। दूसरों के घोड़ों के साथ मैदान पर उतर कर मेडल प्राप्त करना स्थवी की आदत बन गई है। फतेहगढ़ साहिब में भी स्थवी ने मुकाबले से बमुश्किल आधा घण्टे पहले ही मिले एलक्जेण्डर नामक घोड़े के साथ खुद का तालमेल इस तरह बैठाया कि उसे चौथा स्थान हासिल करने में सफलता मिली। फतेहगढ़ साहिब स्थित बाबा बन्दा सिंह बहादुर इंजीनिरिग कालेज में अन्तर्राष्ट्रीय घुड दौड़ मुकाबले के चिल्ड्रन शो मीटिंग में स्थवी के अलावा एक और लड़की शामिल हुई थी। स्थवी ने एलक्जेण्डर नामक जिस घोडे़ पर सवार होकऱ इस मुकाबले में चौथा स्थान लिया था वह घोड़ा बी.एस.एफ. का था। इस चिल्ड्रन शो में गत रविवार को मुकाबले के पॉचवें दिन स्थवी अस्थाना ने बिना किसी पेनाल्टी प्वाइंट के राउण्ड पूरा कर उपस्थित दर्शकों की तालियॉं बटोरी। इस मुकाबले में स्थवी ने लगभग दो महीने के बाद ही घोड़े की लगाम पकड़ी थी। मुकाबले के पहले राउण्ड में 22 खिलाड़ी शामिल थे। इनमेें से मात्र पॉच खिलाड़ी ही दूसरे राउण्ड में पहुंच सके थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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