यह क्या हुआ ! फैसला आ जाता तो कम से कम स्थिति साफ हो जाती। लेकिन अब भी मन में डर सा बना हुआ है। फैसले को लेकर व्यापार भी चौपट हो गया है। अमूमन यह आम लोगों के मुंह से सुनने को मिल रहा है। बच्चे और महिलायें कुछ ज्यादा ही परेशान दिख रहें हैं। जादातर लोगों ने तो शुक्रवार को भगवान और अल्लाह को याद कर आने फैसले पर अमन और शान्ति की दुआयें भी कर डाली। प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद रहा। इसको लेकर आम लोगों में राहत का माहौल देखा गया। तमाम समाज सेवी संगठन इस गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करने के लिये पुरजोर कोिशश कर रहे हैं।
आज शुक्रवार को रामजनमभूमि-बाबरी मसजिद के मालिकाना हक का फैसला आना था। हर तरफ इसकी चर्चा आम थी। निर्धारित समय पर हर कोई टीवी के समाने आंखें गड़ा कर बैठा हुआ था। इसी बीच टीवी पर खबर पढ़ रहे एंकर ने बताया कि देश की सर्वोच्च अदालत ने सुलह के लिये पड़ी याचिका को कबूल करते हुए अगली तारीख तक हाईकोर्ट को फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश दिये गयें हैं। इस बात को सुनना था कि लोगों के चेहरे मुरझा से गये। आखिर ऐसा होता भी क्यों नहींर्षोर्षो लगभग पचास बरस बात एक अहम फैसला जो आना था। यहां भी राजनीति की रोटी सेकने वालों ने अपना कर्तब कर दिखाया। जाहिर सी बात है, उक्त मुकदमें के वादी हिन्दू महासभा और बाबरी मसजिद ऐक्शन कमेटी है। यह दोनों सुलह के नाम से दूर हट रहे हैं और तीसरे सुलह की बात कर रहें हैं। लोगों ने बताया कि फैसला चाहे जो भी हो वह कोर्ट के फैसले का स्वागत करेगें। फैसला टलने से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। मन में तरह-तरह की भ्रिान्तयां पैदा होती हैं। जिसका असर समाज और रोजगार पर भी पड़ रहा है। मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष डाक्टर जफर खां का कहना है कि फैसले के विलम्ब होने से आम जनमानस प्रभावित हो रहा है। उनकी सोसायटी गंगा जमुनी तहजीब कायम रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। हिन्दू और मुसलमान भाई सौहार्द बढ़ाने के लिये एक दूसरे से विचार विमर्श विमर्श कर रहें हैं।