प्रदेश के सुल्तानपुर जेल में बिन्दयों के प्रति जेल प्रशासन का रवैया हिटलर शाही का सा नज़र आ रहा है। आये दिन मानवाधिकार के कानून का हनन करते हुए जेल प्रशासन बिन्दयों के साथ मारपीट व उन्हें मानसिक रुप से प्रताड़ित कर रहा है। जबकि इस सन्दर्भ में शासन ने कड़ा रुख अपना रखा है। जेल प्रशासन द्वारा बरते गये बरताव के खिलाफ कुछेक बिन्दयों ने ए.डी.जे.की अदालत पर प्रार्थना पत्र देकर जेल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की मांग की है।
स्थानीय जेल में प्रशासन द्वारा बिन्दयों को आये दिन मारने पीटने की यह आज कोई नई कहानी नहीं हैं। इसकी इबारत तो वशZ 2006 के जुलाई माह में ही लिखी जा चुकी थी। जब जेल प्रशासन की इन्हीं सब कारस्तानियों के खिलाफ लामबन्द होकर बिन्दयों ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया था। अन्जाम यह हुआ था कि जेल कर्मचारियों के साथ बिन्दयों को लेकर तीन-चार लोगों की मौत हो गई थी और कई एक घायल हुए थे। इसी कड़ी में बुधवार को ए.डी.जे. प्रथम की अदालत पर आये बन्दी विजय यादव, हसीब, राकेश यादव ने ए.डी.जे. प्रथम को जेल में दी जा रही यातनाओं के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र सौंपा। आरोप है कि 18 सितम्बर को सुबह के समय जेलर द्वारा जेल चौकी पर बुलवाया गया। वहां पहले से मौजूद डिप्टी जेलर मृत्युन्जय पाण्डेय, बन्दीरक्षक रज्जनलाल, जयबिन्द और लम्बरदार दिनेश तिवारी उर्फ टेनशन ने कहा कि 25 मार्च से 31 मार्च तक तुम सभी आमरण अनशन पर बैठे थे। यह आरोप लगाकर हम सभी के पैर बांधते हुए लाठियां बरसा दी। यही नहीं बल्कि पीएसी को बुलवा कर एक बार फिर से बैरक नम्बर 12बी से सभी बिन्दयों को निकाल कर जमकर मारा-पीटा। उस समय बन्दी रामपूजन मौर्य, अच्छेलाल यादव, सुनील गौतम, संजय वर्मा, विनोद सिंह, मुन्ना मौर्य आदि ने हाथ जोड़कर मिन्नते मानी कि निर्दोशों को सजा न दी जाये तो जेल प्रशासन ने चुप रहने की धमकी दी। यही नही आजतक जेल प्रशासन ने चोटिल बिन्दयों की न तो डाक्टरी करवाई और न ही दवा-इलाज ही कराया। बताते चलें कि पूर्व में 9जनवरी को भी जेल प्रशासन ने 26 बिन्दयों के साथ कुछ ऐसा ही ताण्डव रचा था। जिसमें त्रिभुवन, राजू यादव, मुन्ना सिंह, फैयाज, जानी, विजय सिंह जख्मी हुए थे। इस प्रकरण की जांच करने डीआईजी जेल मौके पर पहुंचे थे और बिन्दयों का बयान दर्ज कर कार्यवाही की बात कह कर गये थे। जो कि ठण्डे बस्ते में डाल दी गई है। फिलहाल बिन्दयों ने अब न्यायालय में अर्जी लगाकर अपने प्रति नरमी बरते जाने की गुहार लगाई है। देखना यह है कि क्या न्यायालय अपने बिन्दयों की सुरक्षा की बागडोर सम्भालने वालों के खिलाफ कार्यवाही करता है, या फिर बिन्दयों को यहां भी मुंह की खाना पड़ता है। यह अब समय ही बतायेगा।