जहां एक ओर प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती अपनी पार्टी से अपराधियों, माफियाओं को बाहर का रास्ता दिखाने का ढोंग रचती हैं, जिसका जीता-जागता उदाहरण है, मुजफ्फरनगर में अपोलो सर्कस के नेपाली कलाकार बालिकाओं के यौन शोषण के आरोपी बहुजन समाज पार्टी के विधायक मोहम्मद अलीम द्वारा न्यायालय में उपस्थित न होना है, क्योंकि बसपा सरकार का उन्हें पूरी तरह वरदहस्त प्राप्त है। बसपा विधायक का नाम यौन शोषण जैसे अपराध में आने से एक बार पुन: यह सिद्ध हो गया है कि बहुजन समाज पार्टी अपराधियों की आरामगाह बन चुकी है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने आज यहां जारी बयान में कहा कि मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी बेहतर कानून व्यवस्था का `थोथा राग´ अलापना बन्द करें। अपराधी तत्वों, माफियाओं और गुण्डों द्वारा की जा रही अवैध वसूली, लूट, हत्या और बलात्कार की शिकायतें तक थानों में दर्ज नहीं हो रही है। बहुजन समाज पार्टी के खुद विधायक बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में अरोपित हैं और शासन-प्रशासन द्वारा उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। बसपा प्रमुख सुश्री मायावती एक तरफ जहां पांच सौ से अधिक अपराधी तत्वों को बसपा से बाहर करने की बार-बार घोषणा तो करती हैं मगर जब उनसे बसपा से निकाले गये उन अपराधियों की सूची बार-बार मांगने पर भी वह आज तक सार्वजनिक नहीं कर पायी हैं।
मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश की मुख्यमन्त्री शायद भूल चुकी हैं कि बसपा के आधा दर्जन से अधिक विधायक और तमाम पदाधिकारियों पर अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं किन्तु सभी के सभी बसपा में बने हुए हैं वहीं औरैया के इंजीनियर मनोज गुप्ता की हत्या के आरोपित विधायक शेखर तिवारी सरीखे लोग अभी भी बसपा के सम्मानित सदस्य बने हुए हैं। बसपा के शासनकाल में महिलाओं, विशेष रूप से दलित महिलाओं पर अत्याचार और दुराचार की खबरें समाचारपत्रों की मुख्य खबरों में शामिल रहती हैं।