उत्तर प्रदेश के सचिव पशुधन डा0 हरशरण दास ने जानकारी दी है कि पशुपालन विभाग द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन के सहयोग से पशु राहत शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन शिविरों में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था के साथ-साथ उनकी चिकित्सा आदि की भी व्यवस्था की जा रही है।
सचिव पशुधन ने यह जानकारी फसल मौसम सतर्कता समूह (क्राप वेदर वाच ग्रुप) की बैठक में दी। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे बड़े पशुओं में गलाघोटू रोग के नियन्त्रण हेतु एच0एस0 वैक्सीन से टीकाकरण अवश्य कराएं। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में चारे की फसल में दुर्गन्ध आने लगती है तथा रोग एवं कीट की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए हरे चारे को धोकर उसकी कुट्टी बनाकर ही पशुओं को खिलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरे चारे में भूसा मिलाकर ही पशुओं को खिलाना चाहिए अन्यथा पशुओं में पोकनी रोग की समस्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि पशुओं को चारे में प्रतिदिन खाने वाला नमक देना चाहिए।
डा0 हरशरण दास ने सलाह दी कि पशुओं को ऊंचे एवं साफ-सुथरे स्थान पर बांधें तथा साफ पानी पिलाएं इसके साथ ही सायंकाल पशुओं के आस-पास धुआ अवश्य करें। उन्होंने कहा कि पशुओं को तीन माह के अन्तराल पर कृमि नाशक दवा अवश्य दिलानी चाहिए। उन्होंने सलाह दी है कि चारे की फसलों जैसे ज्वार, मक्का, बाजरा तथा मकचरी अगर एक माह की हो गई हो तो उसमें 50 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेअर की दर से यूरिया की टापड्रेसिंग अवश्य करें।
सचिव पशुपालन ने पशु पालकों को सलाह दी है कि ज्यादा दूध देने वाले पशुओं के ब्याने के तुरन्त बाद पूरा दूध न निकालें अन्यथा उन्हें दुग्ध ज्वर होने की संभावना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि पशुओं के नवजात बच्चों को उनके वजन का दसवां हिस्सा खीस तीन हिस्सों में बांटकर तीन बार में पिलाएं। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से बच्चे स्वस्थ्य व निरोग रहेंगे।