Categorized | लखनऊ.

केन्द्र सरकार द्वारा 531.37 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति न करने पर वाणिज्य कर मन्त्री ने जतायी आपत्ति

Posted on 21 September 2010 by admin


थे्रशहोल्ड लिमिट घटाने से छोटी इकाईयों
को बन्दी तथा श्रमिकों की बेरोजगारी का खतरा
वित्त मन्त्रियों की इम्पावर्ड कमेटी की बैठक में
प्रदेश के वाणिज्य कर मन्त्री का उदबोधन

उत्तर प्रदेश के वाणिज्य कर मन्त्री श्री नकुल दुबे ने कहा है कि कर व्यवस्था में परिवर्तन करते समय केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के लिये क्षतिपूर्ति के अनेक योजनायें घोषित की जाती है परन्तु क्षतिपूर्ति पैकेज जारी करते समय उसमे इतने प्रतिबन्ध लगा दिये जाते है जिसके कारण राज्य सरकार पैकेज का लाभ नही उठा पाती हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2008 से लागू की वैट व्यवस्था के क्षतिपूर्ति पैकेज के क्लेम पर केन्द्र सरकार द्वारा अनेको आपत्तियॉ लगाई गईं तथा जब भारत सरकार मंशा के अनुरुप आपत्तियों केा स्वीकार करते हुये जनवरी 2010 में 189.86 करोड़ रुपये का क्लेम भेजा गया तो आज तक उसका भुगतान नही मिल पाया है। इसी प्रकार केन्द्रीय बिक्री कर की दरों में कमी करते हुये राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की प्रतिपूर्ति हेतु घोषित पैकेज के अन्तर्गत फार्म डी समाप्त करने से होने वाली आय को क्षतिपूर्ति की राशि से घटाने की शर्त को हटाने के अनुरोध के साथ क्लेम वर्ष 2009-10 के लिये भेजे गये 341.41 करोड़ रुपये के राज्य सरकार के क्लेम पर भी भारत सरकार से कोई उत्तर नही मिला है। इस प्रकार दोनों मदों को मिलाकर केन्द्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को 531.37 करोड़ रुपये की धनराशि की प्रतिपूर्ति न करना आपत्तिजनक है।

वाणिज्य कर मन्त्री कल नई दिल्ली मेआयोजित राज्यों के वित्त मन्त्रियों की इमपार्वड कमेटी की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे थे। उन्होंने कहा कि इसी कारण राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में जी0एस0टी0 डिसप्यूट सेटलमेन्ट अथॉरिटी के स्थान पर जी0एस0टी0 कम्पेनसेशन अथॉरिटी के गठन का सुझाव दिया गया था। इस अथॉरिटी के गठन के बाद क्षतिपूर्ति के मामलों में केन्द्र सरकार की मनमानी नहीं चल पायेगी।

श्री दुबे ने कहा कि राज्य सरकार जी0एस0टी0 व्यवस्था के खिलाफ नहीं है, परन्तु संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में किये जाने वाले संशोधनों के पहले जी0एस0टी0 का सर्वसम्मत ढांचा का तैयार किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जी0एस0टी0 का सर्वसम्मत ढांचा तैयार होने के बाद ही अन्य बिन्दुओं पर कार्यवाही हेतु रणनीति तैयार करने में सुविधा होगी, जिससे आने वाली समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकेगा।

राज्य सरकार का दृिश्टकोण स्पश्ट करते हुए श्री नकुल दुबे ने जी0एस0टी0 में सभी व्यापारियों एवं उत्पादकों के लिए थ्रेशहोल्ड लिमिट 10 लाख रूपये होनी चाहिए, परन्तु केन्द्रीय जी0एस0टी0 में उत्पादकों के लिए यह लिमिट 03 करोड़ रूपये होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय जी0एस0टी0 में सभी व्यापारियों एवं उत्पादकों के लिए थे्रशहोल्ड लिमिट 10 लाख रखने के सुझाव दिया है जो अनुचित है। यदि केन्द्रीय जी0एस0टी0 में यह लिमिट 10 लाख रूपये रखी जाती है तो वह लघु औद्योगिक इकाईयां भी जी0एस0टी0 की परिधि में आ जायेंगी जो वर्तमान कानूनों के अनुसार केन्द्रीय एक्साइज ड्यूटी के दायरे में नहीं आती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में कर का भार काफी बढ़ जाने के कारण इन इकाईयां का व्यापार सम्भवत: प्रतिस्पर्धात्मक नहीं रह जायेगा, जिसका परिणाम यह होगा कि बहुत सी इकाईयां बन्दी की कगार पर पहुंच जायेंगी एवं इन इकाईयों में काम कर रहे कुशल एवं अर्धकुशल कारीगरों के बेरोजगार हो जायेंगे।

वाणिज्य कर मन्त्री ने कहा कि जी0एस0टी0 में सभी वस्तुओं को कर मुक्त करने का अधिकार राज्यों को मिलना चाहिए, जो वर्तमान वैट व्यवस्था में प्रदेश सरकारों द्वारा कर मुक्त रखी गई हैं, परन्तु केन्द्र सरकार ने जी0एस0टी0 में केवल 99 वस्तुओं जिन्हें इम्पावर्ड कमेटी द्वारा वैट व्यवस्था में कर मुक्त रखे जाने की संस्तुति की गई थी, को ही कर मुक्त रखने का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार द्वारा जी0एस0टी0 व्यवस्था में 99 वस्तुएं ही कर मुक्त रखी जाती हैं तो उत्तर प्रदेश में सेवईयां, बड़ी मुंगौड़ी जैसी रोजमर्रा की खाने-पीने की वस्तुएं, गरीबों द्वारा मकानों में प्रयोग किये जाने वाले खपरैल, शादी-ब्याह में प्रयोग की किये जाने वाले दोना-पत्तल, बनारसी साड़ी तथा अन्य कढ़ाई की वस्तुएं जिनमें राज्य के हस्तिशल्प की सदियों पुरानी परम्परा निहित है 16 प्रतिशत की दर से कर योग्य हो जायेंगी तथा कर कर बोझ सहन न कर पाने के कारण यह िशल्प राज्य से समाप्त हो जाने का भय है।
श्री नकुल दुबे ने कहा कि जी0एस0टी0 व्यवस्था में वैट व्यवस्था की भान्ति कर की दरों संरचना होनी चाहिए जिसमे मानक दर व सोने-चान्दी जैसे बहुमूल्य धातुओं के लिए विशेश दर के अतिरिक्त एक न्यून दर भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कुछ  वर्षों के बाद एक ही दर रखने का सुझाव दिया गया है जो अनुचित है। इससे वर्तमान में 4 तथा 5 प्रतिशत की दर से कर योग्य वस्तुएं जिनमें दैनिक उपयोग की बहुत सी आवश्यक वस्तुएं सम्मिलित हैं पर 16 प्रतिशत कर देना होगा, जिसका विशेश प्रभाव गरीब तबके पर हीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो वस्तुएं वैट में 13.5 प्रतिशत की दर से कर योग्य हैं तथा जिन पर 10 प्रतिशत की दर से एक्साइज ड्यूटी देय है, उन पर जी0एस0टी0 व्यवस्था में कर का भार केवल 16 प्रतिशत रह जायेगा, इस श्रेणी में मोटरकार, ए0सी0 जैसी विलासिता की वस्तुएं वह आती हैं, जिनका निर्माण बड़ी-बड़ी बहुराश्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किया जाता है। केन्द्र सरकार की यह व्यवस्था इन्हीं बहुराश्ट्रीय कम्पनियों को लाभ पहुंचायेगी, वहीं आम उपभोग की वस्तुएं महंगी हो जायेगी। उन्होंने कहा कि इम्पावर्ड कमेटी के इस सुझाव से राज्य सरकार सहमत है कि 50 लाख  टर्नओवर तक के व्यापारियों के लिए समाधान योजना होनी चाहिए।

वाणिज्य कर मन्त्री ने कहा कि राज्य सरकार का स्पश्ट मत है कि जी0एस0टी0 के प्रस्तावित ढांचे में राज्यों को कर की दरों में परिवर्तन करने तथा आवश्यक पाई गई वस्तुओं को कर मुक्त करने की स्वतन्त्रता एक सीमा के अन्तर्गत होनी चाहिए तथा इसके लिए उसे किसी अन्य एजेन्सी की अनुमति लेना जरूरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का मत है कि इम्पावर्ड कमेटी द्वारा जी0एस0टी0 में विलीन किये जाने वाले करों में वैट, केन्द्रीय बिक्री कर, लक्जरी टैक्स, मनोरंजन कर, प्रवेश कर, समस्त प्रकार के सेस व सरचार्ज तथा जुए, सट्टे एवं लाटरी पर लगने वाला कर (जिन राज्यों में लागू हो) को विलीन किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पश्ट किया कि उत्तर प्रदेश में किसी वस्तु पर अलग से कोई क्रय कर नहीं लगाया गया है, परन्तु अपंजीकृत व्यक्तियों से माल की खरीद करने में पर खरीद के बिन्दु पर कर ले लिया जाता है। अत: क्रय कर को जी0एस0टी0 में अलग से विलीन कराने का कोई प्रश्न नहीं है। उत्तर प्रदेश में खाद्यान्नों से अधिकांश कर खरीद के बिन्दु पर ही पर प्राप्त होता है। अत: राज्य सरकार खाद्यान्नों को कर मुक्त करने की पक्षधर नहीं होता है।

श्री नकुल दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार सभी पेट्रोलियम प्रोडक्टस जो वर्तमान में वैट के दायरे से बाहर हैं, को जी0एस0टी0 के दायरे भी बाहर रखने के पक्षधर है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा संविधान में जो संशोधन प्रस्तावित हैं, उनसे लाइट डीजल आयल, फनेZस आयल तथा नेप्था जी0एस0टी0 के बाहर नहीं रह जायेंगे तथा इस पर नान वैट वस्तुओं की भॉति 20 प्रतिशत अथवा अधिक दर से कर नहीं लगाया जा सकेगा। अत: जरुरी है कि इन वस्तुओं को भी जी0एस0टी0 के दायरे से बाहर रखा जाना जरुरी है।
जी0एस0टी0 से सम्बन्धित आई0टी0 इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के सम्बन्ध में राज्य सरकार का पक्ष स्पश्ट करते हुए वाणिज्य कर मन्त्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के करदाताओं को ई-रिटर्न फाइल करने, इन्टरनेट के माध्यम से कर जमा करने तथा आन लाइन फार्म-38 डाऊनलोड करने की सुविधा दी जा चुकी है। राज्य सरकार करदाताओं को और अधिक सुविधाएं देने पर विचार कर रही है जिनमे केन्द्रीय बिक्री कर अधिनियम से सम्बन्धित फार्मों केा आन लाइन डाऊन लोड करने तथा पंजीयन हेतु आन लाइन आवेदन प्रस्तुत करने की सुविधा दिया जाना प्रमुख है। उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आई0टी0 इन्फ्रास्ट्रक्चर के सुदृढ़ीकरण हेतु मिशन मोड प्रोजेक्ट संचालित की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट से सम्बन्धित कार्यों पर 24.97 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं जिसमें से 18.20 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जानी थी, परन्तु भारत सरकार द्वारा इस मद में अब तक राज्य सरकार को 11.54 करोड़ रुपये की धनरािश ही दी गई है तथा यह शर्त लगाई गई है कि राज्य सरकार इसके सापेक्ष अपने अंश का योगदान करते हुए इस प्रोजेक्ट के कार्यों को पूरा करे। उन्होंने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि वह मिशन मोड प्रोजेक्ट पर अपना रवैया बदलते हुए आई0टी0इन्फ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ीकरण पर व्यय की गई पूरी धनरािश का भुगतान करें ताकि राज्य सरकार के आई0टी0इन्फ्रास्ट्रक्चर का कार्य समय से पूरा कर सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in