रामजन्मभूमि व बाबरी मिस्जद के स्वामितव विवाद सम्बन्धित आगामी 24 सितम्बर को हाईकोर्ट का आने व निर्णय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों से क्षेत्र का माहौल गर्मा गया है। जहां राजनैतिक धुरन्धर शाम-दाम-दण्ड-भेद अपना कर अपना अपना उल्लू सीधा करने के प्रयास में है।
गौरतलब हो कि ग्रामीण अंचलों में एकाएक उबाल आ गया है। पंचायत चुनाव के संभावित उम्मदीवार मतदाताओं के चौखट पर दस्तक दे शान्ति वातावरण के पर लगा दियें हैं। इस समय सर्वत चर्चा रामजन्मभूमि विवाद व प्रधान, जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य के दावेदारों की जीत हार को लेकर चर्चा का विशय बना हुआ है। चौराहों व चाय पान की दुकानों पर व गांव की चौपाल, क्षेत्रीय नेताओं का प्रमुख अड्डा बना हुआ है। गांव के चौपालों में कुछ स्थान पर महिलायें भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। ग्रामीण अंचालों के विकास के नाम पर सरकार मौजूदा समय में रुपया पानी की तरह बहा रही है। जिसे देखते हुए ग्राम प्रधान पद के दावोदारों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जबकि वर्तमान प्रधान बने प्रशासक रुठे मतदाताओं को मनाने के उद्देश्य से बीपीएल राशन कार्ड, वृद्धा पेंशन, नाली, खड़ण्जा, इण्डिया माकाZ हैण्डपम्प, महा माया आवास अदि कार्यों को छूमन्त्र की तरह करने को तत्पर है। कई ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान बीपीएल राशन कार्ड स्वयं बनाकर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहें हैं। शान्ति वातावरण में राजनैतिक उथल पुथल के बीच रामजन्मभूमि व बाबरी मिस्जद का निर्णय सम्बंधी मुद्दा आग में घी डालने का कार्य किया है। जिसे देखते हुए प्रशासन चाक चौबन्द का प्रयास करते हुए शान्ति व्यवस्था बनाये रखने की अपील कर रही है। वहीं कुछ अराजक तत्व एक बार फिर सर उठाने को अवसर की तलाश में हैं। सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार की विरोधी पार्टियां सुरक्षा के नाम पर बसपा सरकार को असफल साबित कर बखाZस्तगी के ताने बाने बुने उसको बसपा सुप्रिमों मुख्यमन्त्री मायावती ने केन्द्र के ऊपर मढ़ते हुए भारी सुरक्षा व्यवस्था की मांग कर डाली। अब गेन्द केन्द्र के पाले में फेंक कर जो सुरक्षा कवच पहनने का प्रयास सफल साबित दिखाई दे रहा है।