लखनऊ -माध्यमिक शिक्षा परिषद, उ0प्र0 द्वारा वर्ष 2011 में आयोजित की जाने वाली हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परीक्षा हेतु परीक्षा केन्द्र बनाये जाने से सम्बन्धित नीति का निर्धारण शासन द्वारा कर दिया गया है। इस नीति मेंनकल की प्रवृत्ति पर अंकुश एवं परीक्षा की सुचिता सुनिश्चित करने हेतु परीक्षा केन्द्रों के निर्धारण में महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये हैं। यह जानकारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक, संजय मोहन ने आज यहॉ दी है।
उन्होंने बताया है कि समस्त राजकीय तथा अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को अनिवार्य रूप से परीक्षा केन्द्र बनाया जायेगा और उनमें कम से कम 500 तथा अधिकतम 1000 परीक्षार्थी आवंटित किये जायेगें। इस हेतु माध्यमिक शिक्षा विद्यालयों को काली सूची से इस प्रतिबन्ध के साथ मुक्त कर दिया है कि आगामी तीन वर्ष में इन विद्यालयों की बालिकाओं को स्वकेन्द्र की सुविधा नहीं दी जायेगी और विद्यालय के काली सूची में सम्मिलित होने के समय कार्यरत प्रधानाचार्य के वर्तमान समय में भी कार्यरत रहने की स्थित में वाह्य केन्द्र व्यवस्थापक की व्यवस्था की जायेगी।
उन्होंने बताया कि राजकीय तथा सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में परीक्षार्थियों के आवंटन के उपरान्त शेष बचे परीक्षार्थियों का आवंटन अच्छे ख्याति वाले वित्त विहीन विद्यालयों में किया जायेगा। किन्तु किसी भी वित्त विहीन विद्यालय के परीक्षा केन्द्र बनाये जाने की स्थिति में उसमें 500 से अधिक परीक्षार्थी आवंटित नहीं किये जायेगें। राजकीय तथा सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं का परीक्षा केन्द्र वित्त विहीन माध्यमिक विद्यालयों में ही बनाया जायेगा और जनपद तथा मण्डल स्तरीय समिति द्वारा परीक्षा केन्द्र के निर्धारण के उपरान्त उनमें किसी प्रकार के संशोधन का निर्णय शासन द्वारा लिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि परीक्षा अवधि में परीक्षा व्यवस्था से जुड़े व्यक्तियों से इतर वाह्य व्यक्तियों का परीक्षा केन्द्र में प्रवेश एवं फोटोग्राफी वर्जित रहेगी।
निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा अशासकीय विद्यालयों को हाईस्कूल एवं इण्टर की मान्यता परिषद द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार प्रदान की जाती है। भूमि की दरों में वृद्धि तथा भूमि की अनुपलब्धता को दृष्टिगत रखते हुए माध्यमिक शिक्षा के प्रसार हेतु मान्यता के लिये पूर्व निर्धारित मानकों में संशोधन कर दिया गया हैं। शहरी क्षेत्रों में 1000 वर्ग मीटर के स्थान पर 650 वर्ग मीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 4000 वर्ग मीटर के स्थान पर 2000 वर्ग मीटर का मानक मान्यता हेतु पुनरीक्षित किया गया है। इस निर्णय से निजी प्रबन्ध्तन्त्र असेवित क्षेत्रों में अधिक से अधिक नवीन विद्यालय खोलने के लिए प्रोत्साहित होंगे। मानकों में किये गये संशोधन में क्रीड़ा स्थल के विद्यालय के भूमि के साथ होने की बाध्यता समाप्त करते हुए विद्यालय भूमि से अधिकतम 200 मीटर की परिधि में क्रीड़ा स्थल को मान्यता के लिए अनुमन्य कर दिया गया है।