मामला नवजात शिशु की मौत का
सुल्तानपुर - चर्चित आभा नर्सिग होम काण्ड की कहानी की शुरूआत जिला महिला चिकित्सालय में तैनात एक ए0एन0एम उषा दूबे से हुई। मामला पल्टू पुरवा निवासी उमा मौर्या की डिलेवरी मात्र जिला चिकित्सालय में होनी थी। आनन फानन मे उमा मौर्या जिला महिला चिकित्सालय से आभा नर्सिग होम पहुंच गई। उमा मौर्या को डिलिबरी हुई, डाक्टर के अनुसार शिशु पूरे समय पर हुआ, बच्चा स्वस्थ्य था और उसका वनज 2कि0 100 ग्राम था, जब इतना सब कुछ ठीक ठाक रहा तो फिर बच्चा गायब कैसे हो गया।
आठ घण्टे के बाद जब परिजनो ने बच्चे के लिये दबाव बनाया तो पता चला कि बच्चा फरीदी नर्सिग होम में भर्ती है। बाद में पता चला कि बच्चा मर गया है। उमा मौर्या के भाई को जब लगा कि उसके साथ धोखा हुआ है तो उसन दो नर्सिग होमो के साथ ए0एन0एम उषा दूबे व उसके पति द्वारिका दूबे भाई ज्ञानेश दूबे, डा0 बी0के0 शुक्ला के खिलाफ कोतवाली नगर मे प्रार्थिमकी दर्ज करवाई, पुलिस ने फौरन कार्यवाही करते हुए ए0एन0एम0 उशा दूबे के पति द्वारिका दूबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
दूसरी तरफ एक सितम्बर से तीन सितम्बर तक उषा दूबे की उपस्थिती दर्ज होती रही, जबकि उषा दूबे उमा मौर्या काण्ड की अभियुक्त है। अब रहा सवाल उशा दूबे के विरूद्व अभी तक कोई विभागीय ठोस कार्यवाही क्यो नही हुई। वही डा0 कुशवाहा का कहना है कि उषा दूबे के मामले में मुख्य चिकित्साअधीक्षिका डा0 विनीता सिंह और परियोजनाधिकारी डा0 शिसौदिया ही कुछ कर सकते है। उधर महिला चिकित्साधिकारी डा0 विनीता सिंह का कहना है कि मै किस आधार पर उषा दूबे के विरूद्व कैसे कार्यवाही करूं। मेरे पास इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नही है। अब रहा उषा दूबे को पुलिस निलिम्बत करेगी नही उसके खिलाफ कार्यवाही तो विभाग ही करेगा। कुल मिलाकर यह स्पष्ट हो रहा है कि उषा दूबे को विभागीय अधिकारी बचाने का प्रयास कर रहे है। इतना हास्यपद लगता है कि एक मौत अबोध की एक लडकी के साथ धोखा, एक जिम्मेदार सरकारी कर्मचारी की संलिप्तता और विभागीय कार्यवाही से बचते रही।
एक पूरे समाज के लिये निन्दनीय है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस प्रकरण में कुछ भी बोलने से बच रहे है। ए0एन0एम0 उषा दूबे के विरूद्व कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज करने के बाद भी विभागीय अधिकारियो के विरूद्व कार्यवाही करने के लिये साक्ष्य चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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